बचपन की याद को कुरेद कर बिताओ वक्त.
इस भागदौड़ भरी जिंदगी से हट कर कुछ काम करो, 21 दिन मिले हैं कम
इस भागदौड़ भरी जिंदगी से हट कर कुछ काम करो, 21 दिन मिले हैं कम
घरेलू हो गया मैं आज़ पर पालतू नहीं ….. ख़ाली बैठा हूँ मैं आज़ पर
क्यों शहर में आज सन्नाटा है, घर मे दुबके है लोग किस डर से, परिंदे
जनमानस के जीवन पर एक खतरा मंडराया है कहते हैं दूर चीन से कोरोना आया
ढूंढते हुए घर पर अपनी कुछ अज़ीज़ चीजों को,अक्सर नज़र तो तुम्हारी भी उन सामानों
देखो, आया नया उजियारा, खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा, बदल गए हैं रंग सारे,अम्बर