यह वक्त है, वक्त का अगर अभी न समझा तू, आंगन में परिंदे घूमेंगे और घर में रहेगा तू…

खबर शेयर करें -

क्यों शहर में आज सन्नाटा है,
घर मे दुबके है लोग किस डर से,


परिंदे भी बाहर, खुले आम घूम रहे है,
क्या किया इंसानी जमात ने जो,
खुद ही इंसान से भाग रहे है,


खुद को खुदा कहने वाले,
अब चला पता कि तू क्या है?

चांद पर जाकर ख्वाब देखने वाले,
आज घर में ही, क्यों दुबका है?

देखो शान से, परिंदे चुग रहे हैं दाना,
खता नही की थी उन्होंने कभी,


पर तुम उनकी तरह, चाहते थे उड़ना,
आज तेरे आंगन में, वो आजाद रहे घूम,


घर की दीवारों के भीतर खुद को बचाने वाले,
आज कहां गया तेरा अहंकार, उड़कर आसमान छूने वाले,

यह वक्त है, वक्त का, अगर अभी न समझा तू
आंगन में परिंदे घूमेंगे और घर में रहेगा तू…..

अपने मोबाइल पर ताज़ा अपडेट पाने के लिए -

👉 व्हाट्सएप ग्रुप को ज्वाइन करें

👉 फेसबुक पेज़ को लाइक करें

👉 यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें

हमारे इस नंबर 7017926515 को अपने व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ें

Subscribe
Notify of

5 Comments
Inline Feedbacks
View all comments