खाली ही तो आये थे,
क्या खाली ही जाओगे।
मनु जीवन सर्वोच्च कोटि का,
क्या नाम ना अपना कर जाओगे।
रविन्द्र दिनकर बोस अयंगर,
तुम जैसे ही किंकर थे।
कुछ करने का निश्चय पाला,
तब किस काम भंयकर थे।
मेहनत, निश्चय, सत्य, अनुशासन,
चार बस ये चीजें हैं।
इनको जीवन में घुला डालो,
देखो फिर कैसे खुलता तकदीर है।
चाँदी चम्मच कुछ विरले ही लाते हैं,
बाँकी सब अपने परिश्रम का ही खाते हैं।
मुठ्ठी कस के आज जकड़ लो,
जानो फिर सपने कैसे पूरे होते हैं।
यौवन जीवन पास तुम्हारे,
अवसर का अंबार लगा है।
बस कोई एक गैल पकड़ के,
तुम्हें सफल जीवन करना है।।
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