- टैंकर के नाम पर करोड़ों का बजट ठिकाने लगाने वालो पर की जाएगी सख्ती, देना होगा अब खर्चे का ब्यौरा।
देहरादून- उत्तराखंड के पेयजल संस्थान पर अब सख्ती की जा रही है। टैंकर के नाम पर करोड़ों का बजट ठिकाने लगाने के खेल पर अब लगाम लगेगा। जल संस्थान को अब हर जोन में टैंकर पर होने वाले खर्चे का ब्यौरा देना अनिवार्य है। विभागीय इंजीनियर टैंकर के नाम पर बजट को ठिकाने लगाते हैं, इस पर रोक लगाने के लिए टैंकरों को जीपीएस से जोड़ा जाएगा।
दरअसल बजट का अधिकांश हिस्सा राजधानी देहरादून में खर्च होता है जिसमें 3 से 4 करोड़ से अधिक का बजट खर्च होता है। वही सबसे कम खर्च टेहरी जिले में होता है। नैनीताल में 97 लाख, पौड़ी में 32.40 लाख, रुद्रप्रयाग में 27 लाख, अल्मोड़ा में 46 लाख, उत्तरकाशी में 7.20 लाख, उधम सिंह नगर में 3.60 लाख, चंपावत में 7.20 और टिहरी में 1.88 लाख का बजट खर्च होता है। अब जल संस्थान मैनेजमेंट को ब्यौरा देना होगा जिसमे उन्हें बताना होगा की सबसे अधिक टैंकर कौन से क्षेत्र में बांटे गए।
साथ ही जहां यह टैंकर बांटे गए वहां के पेयजल योजनाओं पर पिछले सालों में कितना बजट खर्च हुआ है। पेयजल के सचिव नितेश झा ने जानकारी देते हुए कहा कि जल संस्थान को टैंकरों से पानी उपलब्ध कराने को जो बजट दिया जाता है, उसके खर्च का पूरा ब्योरा उपलब्ध कराना होगा। जिन क्षेत्रों में पेयजल योजनाएं तैयार हो चुकी हैं, वहां क्यों बजट खर्च किया जा रहा है, इसका जवाब देना होगा। पूरी व्यवस्था को मजबूत बनाया जाएगा। बता दे राजधानी देहरादून में 3 महीने में 3 करोड़ का बजट खर्च हुआ है। जल संस्थान में पानी के टैंकर के नाम पर हेरा फेरी होती है। गर्मियों में टैंकर से पानी पिलाने के आंकड़े हमेशा सवालों से घिरे रहते है।
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