काठगोदाम रेलवे स्टेशन (Railway station) का गौरवशाली इतिहास, आज ही के दिन पहुंची थी पहली ट्रेन….
24 अप्रैल 1884 यह दिन कुमाऊ के इतिहास में लिखा जाने वाला था क्योंकि इसी
24 अप्रैल 1884 यह दिन कुमाऊ के इतिहास में लिखा जाने वाला था क्योंकि इसी
शिक्षक बनने से पहले शिक्षक प्रशिक्षण लेना होता है। यह एक ट्रेनिंग कॉलेज की कथा
हम सभी ने नौले के अंदर से पानी के कनस्तर को निकाला और नौले की
गर्मी की छुट्टियाँ किसी उत्सव से कम नहीं होती थी। बीस मई को नतीजा निकलता
इस कहानी में एक जोशीले ड्राइवर की कथा के बहाने उस दौर के गँवई परिवेश
हमारे एक सहपाठी थे। वे अभिभावकों को अपने परीक्षा-परिणाम का ठीक विपरीत फल बताते थे।
स्कूली शिक्षा में तब गणित का भय बहुत सताता था। एक समूची पीढ़ी इस भय
अब हम 6 लोग अपने गांव कलाग जाने के लिए उस बड़ी पहाड़ी के संकरे
चार-पाँच दशक पहले अधिकांश भारत गाँवों में बसता था। साधन कम होने के बावजूद लोगों
भिटौली के इंतजार में इस महीने अपने ससुराल में बेटी अपने पिता या भाई के