हल्द्वानी- रविवार की सुबह पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए सोशल मीडिया पर कई संगीन आरोप लगाए यहां तक कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बंशीधर भगत को रामलीला में दशरथ का पाठ खेलने और संवाद में रावण की भाषा बोलने की बात कह डाली, जिसका जवाब बंशीधर भगत ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को उन्हीं की भाषा में दिया है अपने सोशल मीडिया अकाउंट से बंशीधर भगत ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को जवाब देते हुए कहा की असली रावण कांग्रेस है जो कि भगवान श्री रामचंद्र जी के काल्पनिक होने का दावा करती है यही नहीं 2022 में जनता रूपी हनुमान के हाथों कांग्रेस की हार होने के साथ-साथ बंशीधर भगत ने कहा उत्तराखंड आंदोलन के समय मुलायम सिंह से आपकी दोस्ती जगजाहिर है इधर भगत ने हरीश रावत से सवाल पूछते हुए कहा, आपको तो धरना देने का शौक है जब केंद्र सरकार राज्य का विशेष पैकेज समाप्त कर रही थी तब आप दिल्ली में धरने पर क्यों नहीं बैठे ? क्या कहा बंशीधर भगत ने विस्तार से देखिए उनका कॉलम
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प्रिय हरीश रावत जी!
शायद आपको मेरी बात थोड़ी कड़वी लगी हो, परन्तु मैं आपको बताना चाहता हूँ कि “सच कड़वा होता है” और आप की बौखलाहट इसका परिणाम है ।।
लेकिन आपने बिल्कुल ठीक कहा कि मैं रामलीला में दशरथ का पाठ खेलता हूँ अगर आपने रामलीला देखी होगी तो आपको राजा दशरथ का एक वक्तव्य याद होगा “हम नहिं बोले झूठ, पलट जाए चाहे जमीं सारी”।।
मुझे गर्व है कि हम इस सनातनी परंपरा का निर्वहन सार्वजनिक जीवन में भी कर रहे हैं, हम तो भगवान श्री राम चंद्र जी के भक्त हैं और पूरी दुनिया ने भी यह देख लिया कि अयोध्या की पावन राम जन्म भूमि पर भव्य राम मंदिर का निर्माण होने जा रहा है, रावण रूपी हम नहीं हैं, वे तो कांग्रेसी नेता व उनकी सरकारें रही हैं, जिन्होंने भगवान श्री राम चंद्र जी के काल्पनिक होने का दावा किया था।
आप कांग्रेस के वे कालनेमि हैं जिसे हनुमान जी का रास्ता रोकने के लिए कांग्रेस रूपी रावण ने भेजा है, मगर आपको ये याद तो होगा ही कि कालनेमि हनुमान जी के हाथों मात खाता है, ठीक उसी तरह 2022 में भी ये हनुमान रूपी जनता आप जैसे कालनेमि को फिर से परास्त अवश्य करेगी।
उत्तराखंड आंदोलन के समय में मुलायम सिंह जी से आपकी दोस्ती जग ज़ाहिर है। प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने पर कांग्रेस ने कितने घोटाले किए सब भली भांति जानते हैं।
मान्यवर, आप जनता को जवाब दें कि उत्तराखंड का विशेष पैकेज एवं विशेष राज्य का दर्जा जब केंद्र में आपकी सरकार समाप्त कर रही थी तो आप दिल्ली में धरने पर क्यों नहीं बैठे? आपको धरना देने का बड़ा शौक़ है, तो उस वक़्त आप कैसे भूल गए ??
वैसे आप की धरना राजनीति की एक विशेषता यह भी है कि उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनने के लिए आप ने अपने ही मुख्यमंत्रियों की जड़ों में खूब मट्ठा डाला, आप रायता फैलाने में विशेषज्ञ हैं, लेकिन अब आपके ये सारे खेल दुनिया जान चुकी है और आपकी पार्टी के नेता भी इस वक्त आपके इस रायते से बचने की कोशिशों में लगातार दिखते हैं।
जहाँ तक IDPL और HMT का सवाल है, रावत जी भूल गए कि ये दोनों केन्द्र सरकार के प्रतिष्ठान थे जिनकी स्थापना 1961 में हुई थी, लेकिन केंद्र में कांग्रेस सरकारों की नीतियों व ख़राब प्रबंधन के कारण ये लगातार डूबती गई और अंततः बंद हो गई, हम तो हमेशा ही इनके पुनर्जीवन के पक्ष में रहे हैं।
रावत जी आपमें एक और विशेषता है कि खुद तो कुछ करते नहीं किंतु जब भाजपा सरकार बड़ा काम करती है तो आप तुरंत श्रेय लेने की जुगत में लग जाते हैं, चाहे ऑल वेदर रोड हो या जमरानी बांध का मामला हो, लेकिन यह तो बता दीजिए कि आपने मुख्यमंत्री रहते हुए बिना पैसे स्वीकृत किए जो हज़ारों घोषणाएँ की थी उनका क्या हुआ? कोई एक आध भी पूरी हुई या वह भी नहीं ?? मान्यवर, अब जनता काम व नौटंकी का फ़र्क़ समझती है।
मैं प्रदेश की जनता को बताना चाहता हूँ कि कांग्रेस ने काले कारनामों से जो भी काम बिगाड़े हैं, भारतीय जनता पार्टी की सरकारें उन सभी कार्यों को जनहित के लिए दुरस्त करती रही हैं और आगे भी करेंगी और बात रही कांग्रेस की तो इनकी सरकार ने अपने शासनकाल में जिस तरह हिंदू मान्यताओं का अपमान किया, उससे नहीं लगता कि ये कभी सत्ता में अब आ पाएंगे।
माननीय रावत जी यह माँ गंगा के प्रति आपकी नफरत भरी राजनीति ही थी कि आप माँ गंगा को नहर और नाला करार दे बैठे, हमारी सरकार आपकी इस गलती का सुधार अवश्य करेगी ।
खैर माँ गंगा आपको सद्बुद्धि दे।
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