हरिद्वार- महाकुंभ की तैयारी जोरों-शोरों पर चल रही है। हर दिन शोभा यात्रा निकल रही है। ऐसे में महाकुंभ 2021 शोभा यात्रा के दौरान हिमालयन योगी स्वामी वीरेंद्रानंद गिरी जी महाराज के नाम से उत्तराखंड के लोकगायक रमेश बाबू गोस्वामी के गीत ने पूरे महाकुंभ परिसर में धमाल मचा दिया। रमेश बाबू गोस्वामी के हिम शिखरों से भजन के पूरे साधु संन्यासियों से लेकर अधिकारियों तक में चर्चा है। महांडलेश्वर स्वामी विरेन्द्रनंद गिरी महाराज जी ने खुद इस फेसबुक पर शेयर किया है। ढोल-दमाऊ के साथ सुंदर छोलियां नृत्य ने लोगों का मन मोह लिया।
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लोकगायक रमेश बाबू गोस्वामी ने बताया कि पहली बार उन्हें महाकुंभ जैसे बड़े पर्व में गाने का मौका मिला तो उन्होंने अपने गुरू महांडलेश्वर स्वामी वीरेंद्रानंद महाराज जी पर गीत तैयार किया। आश्चर्य की बात यह है कि यह गीत उन्होंने एक घंटे के अंदर तैयार किया। इस गीत में संगीत चंदन ने दिया है जबकि गीत की रिकॉडिंग काशीपुर में की गई। यह गीत उनके यू-ट्यूब चैनल पर जल्द रिलीज होगा। हरिद्वार में महाकुंभ 2021 की शोभा यात्रा में रमेश बाबू के इस गीत पर भक्त जमकर थिरके। पहली बार हजारों की संख्या में निकली शोभा यात्रा ने हर किसी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
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बता दें कि मूलरूप से पिथौरागढ़ निवासी हिमालयन योगी महामंडलेश्वर वीरेंद्रानंद गिरि जी महाराज का रथ विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। पूरे हिमालय के संस्कृति के दर्शन उनके रथ पर हो रहे थे। असंख्य लोगों ने पेशवाई में हिमालयन योगी जी का आशीर्वाद प्राप्त किया। ये पहला अवसर था जब पूरा उत्तराखंड के लोक गीतों में झूमते हुए पेशवाई निकल रही थी। इस अवसर पर हेलीकॉप्टर के माध्यम से पुष्प वर्षा की गई।
गौरतलब है कि स्वामी वीरेंद्रानंद जी ने कोरोना काल में आपदा से प्रभावित लोगों की मदद के लिए अभियान चलाया था। उन्होंने खुद घूम-घूमकर लोगों की मदद की। सुदूर क्षेत्रों में भी उनके सत्कर्मा मिशन के स्वयंसेवकों ने मदद पहुंचाई। आपदा में भी वह लोगों का दुख दर्द बांटते दिखे। सत्कर्मा मिशन गरीबों और बेसहारा लोगों की मदद करने के साथ ही जल संरक्षण और पर्यावरण बचाने के मिशन में भी जुटा है।
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उत्तराखंड के सीमांत जिला पिथौरागढ़ में एशियन सत्कर्मा मिशन के संस्थापक स्वामी वीरेंद्रानंद पर्यावरण को लेकर विशेष अभियान चला रहे हैं। उन्होंने कोरोना संकट, उत्तराखंड के विकास, प्रकृति के महत्व, पलायन, स्वरोजगार और पहाड़ में संभावनाओं के हर क्षेत्र में अपने मिशन के माध्यम से काम किया है। हरेला पर्व के अवसर पर उनके मिशन ने ढाई लाख से ज्यादा पौधे लगाए। आज स्वामी वीरेंद्रानंद उत्तराखंड ही नहीं बल्कि पूरे विश्व भर में एक बड़ा नाम है।
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