हल्द्वानी- नये साल पर रिलीज हुआ लोकगायक बीके सामंत का पंचेश्वर बांध पर गाया गीत इन दिनों खूब चर्चाओं में है। एक बार फिर लोकगायक बीके सामंत ने साबित कर दिया कि वह पहाड़ के दर्द को बंया करने में किसी से कम नहीं है। उनके गीतों की धुन और उनकी सुरीली आवाज इस गीत के दर्द में चार चांद लगाती है। पंचेश्वर बांध पर बने इस गीत को सामंत ने अपनी कला बिखेरी है। इससे पहले उनके गीत थल की बाजार, यो मेरो पहाड़ और तू ऐ ओ पहाड़ समेत कई गीतों से प्रदेश में ही नहीं पूरे भारत में धमाल मचा चुके है।
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अब उनके गीत पंचेश्वर बांध ने यो आरी-पारी डूबी जाली थ्वाड़ दिनोंक बाद, बडऩ-बडऩ देखा पंचेश्वर में बांध के सुरों ने लोगों को भाव विभोर कर दिया। इस गीत में उन्होंने पहाड़ के लोगों का दर्द भी बयां किया है। साथ ही पंचेश्वर बांध बनने से लगातार हो रहे पलायन को भी बखूबी समझाया है कि कैसे लोग भाबर हल्द्वानी में बसते जा रहे है। अभी तक इस गीत को एक लाख से ऊपर व्यूज मिल चुके है। इससे पहले उनके अन्य गीत करोड़ों की लिस्ट में शामिल है। बीके सामंत ने उत्तराखंड के संगीत को एक नये मुकाम पर पहुंचाया है। जिस तरह उन्होंने नये म्यूजिक और नये अंदाज में उत्तराखंड के संगीत जगत में कदम रखा वाकई में वह हैरान कर देने वाला था।
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बीके सामंत के इस नये अंदाज को लोगों ने खूब पसंद किया। आज भी शादी पार्टियों में उनके गीत थल की बजारा की डिमांड सबसे पहले है। हाल ही मेंं थल की बजारा गीत चार करोड़ से ऊपर पहुंच चुका है।उन्होंने उत्तराखंड की गायकी में अपना एक अलग की पहचान छोड़ दी। कभी उनके गीत पहाड़ के लोगों को भाव-विभोर करते है तो कभी थिरकने को भी मजबूर मजबूर कर देते है। तू ऐ जाओ पहाड़ के बाद अब उनका गीत यो आरी-पारी डूबी जाली थ्वाड़ दिनोंक बाद, बडऩ-बडऩ देखा पंचेश्वर में बांध रिलीज हुआ है। जिसे लोग खूब पसंद कर रहे है।
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