हर बच्चे के पहले सुपरहीरो से लेकर,
जिंदगी की जद्दोजहद में आख़री आस होते हैं पिता
परिवार की ख्वाहिशों के बोझ से दबे रहते
परंतु हमें स्वाभिमान से जीना सिखाते हैं पिता l
बचपन में अपने पेट का बिछौना बना हमें सुलाते..
स्कूल जाने पर कॉपी किताबों में कवर चढ़ाते पिता,
खुदा ही जाने कितने ही संघर्षो को अपनी मुस्कान से छिपाते..
हमेशा उम्मीदों को जगाते और निराशा को भगाते पिता ,
ऊँगली पकड़कर चलना सिखाने से लेकर अच्छे बुरे की पहचान कराते
शाम को घर पहुंचते ही हमारे अनगिनत नखरे उठाते पिता
स्कूल, कोचिंग की फीस से लेकर
हमारे महंगे शौक़ों की ई एम आई तक चुकाते पिता
ख़ुद अभावों में जीते हुए भी, हमें भावों से भरते हैं…
सच कहूँ तो मुझे नारियल से लगते हैं पिता…
बाहर कड़क, फिर कोमल, भीतर बिल्कुल निर्मल स्रोत..
हर गलती पर बड़ी अच्छी समझ सिखाते हैं पिता ,
लिखूँ तो क्या लिखूँ ज़ब सब कुछ ही हैं पिता
जीवन में सूरज की गर्मी और रोशनी से हैं पिता
जिनका हमारे लिए किया संघर्ष हमें नज़र ही नहीं आता,
ये एहसास तब होता है.. जब रहते नहीं पिता l
जिनके पास पिता हैं वो समझें उनके पास कायनात है
ख्वाहिशों के पर हैं.., खुशियों का आसमान है…
और क्या लिखूँ एक पिता के लिए पैगाम
बस उनकी ही दी धड़कन हूँ, करती हूँ उन्हें प्रणाम,
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