(शायरी)हमसफ़र ऐसा हो बेशक उससे मुलाकात कम हो। लेकिन कामयाबी पर खुद से ज्यादा उसका हाथ हो ।।

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जिंदगी में सोच रखो तो उस चीटी की तरह ।

जो लाख गिरने के बाद भी उम्मीद नही खोती ।।

उसकी हिम्मत उसकी कोशिस उसको मंजिल तक पहुँचा देती है।।।

कभी फुरसत से अपनी तरफ आइना करना।

दुसरो की गलती निकालना भूल जाओगे ।।

हमसफ़र ऐसा हो बेशक उससे मुलाकात कम हो।

लेकिन कामयाबी पर खुद से ज्यादा उसका हाथ हो ।।

बेशक पिता की वो बातें कड़वी होती है ।

लेकिन वही बातें हमें एक सफल मुकाम तक पहुँचा जाती है।।

वक़्त के साथ सब कुछ बदल जाता है ।

ना कोई किसी का भाई ना बहन ।।

सब की अपनी दुनिया होती है सब अपने में ही खो जाते है।।

बस माँ ही बिना स्वार्थ के अपनी औलाद के साथ रहती है ।।।

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