नई दिल्ली- उत्तराखंड में पारंपरिक खेती को लेकर नैनीताल उधम सिंह नगर संसदीय क्षेत्र के सांसद अजय भट्ट ने लोकसभा सदन में पहाड़ के पारंपरिक फसलों के बीज के रखरखाव के लिए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री से सवाल उठाया। सांसद अजय भट्ट ने पहली बार सदन में पहाड़ के मडवा, गहत, सहित अन्य पारंपरिक खेती का जिक्र करते हुए केंद्र सरकार से सवाल पूछा कि आखिर उनके रखरखाव के लिए क्या किया जा रहा है।
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सांसद अजय भट्ट ने सदन में कृषि मंत्री से सवाल पूछा कि मैं जानना चाहता हूं कि उत्तराखंड समेत सभी पर्वतीय राज्यों के परंपरागत खेती लंबे समय से वहां के लोग करते आ रहे हैं और जिसमें जौ, मडुवा, घीनोरा, राई, गहत और साथ में ब्रह्म कमल, अश्वगंधा, जटामांसी, काली हल्दी है कीड़ा जड़ी, तुलसी समेत कई मेडिसिनल प्लांट होते है। सरकार उत्तराखंड समेत अन्य पर्वतीय क्षेत्रों की जलवायु को मध्य नजर रखते हुए वहां की परंपरागत खेती को देखते हुए उन्नत किस्म के बीज बनाने हेतु कोई विचार सरकार ने किया है?
जिस पर केंद्रीय राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने जवाब देते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा पौधा किश्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण 1806 किस्म के स्वदेशी व स्थानीय फसलों का रजिस्ट्रेशन करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है साथ ही केंद्र सरकार ने देश के किसी भी कोने में कोई भी किसान अपने द्वारा उन्नत की हुई बीज को संरक्षित करना चाहता है तो प्राधिकरण के तहत उसे यह सुविधा दी गई है।
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इसके बाद सांसद अजय भट्ट ने जैविक खेती को लेकर केंद्रीय मंत्री से प्रश्न किया कि क्या देश के विभिन्न विभागों में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए जो केंद्र खोले गए हैं क्या उत्तराखंड में भी जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार इसी तरह का जैविक खेती केंद्र खोलने पर विचार कर रही है? जिस पर केंद्रीय राज्य मंत्री द्वारा जवाब देते हुए बताया गया कि उत्तराखंड सहित अन्य पर्वतीय क्षेत्र जहां जैविक खेती होती है उसके लिए केंद्र सरकार राज्य सरकार के साथ मिलकर केंद्रीय योजनाओं मैं जैविक खेती को ज्यादा से ज्यादा करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने का प्रोग्राम बनाएगी। गौरतलब है कि सांसद अजय भट्ट लगातार उत्तराखंड की आवाज बनकर सदन में राज्य की प्रबल समस्याओं को उठाते आ रहे हैं इसी के तहत पहाड़ी उत्पादों के बढ़ावा और उन्हें पहचान दिलाने के लिए सदन में आज उनके द्वारा सवाल उठाया गया।
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