हल्द्वानी में इन दिनों बैठकी और खड़ी होली की धूम है खासकर महिलाएं होली में स्वांग रचकर फागुन के रंगीले त्यौहार में सराबोर हैं. haldwani holi
कुमाऊ का प्रवेश द्वार हल्द्वानी इन दिनों महिलाओं की टोली में होली के गीतों के रंगों में सराबोर है. बैठकी होली हो या फिर खड़ी होली, महिलाएं फागुन के इस त्यौहार को बड़े ही हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ मना रही हैं. होली के गीतों के साथ-साथ स्वांग रच कर महिला जमकर इस रंगोत्सव का आनंद ले रही हैं खासकर कुमाऊनी होली के गीतों में महिलाएं सामाजिक कुरीतियों को दूर करने का संदेश भी देती है इसके अलावा ब्रज, अवधी के साथ हिंदी भाषा में रचित होली का भी यहां गायन होता है।
होली न सिर्फ रंगों का त्योहार है बल्कि एक सांस्कृतिक विरासत भी है जिसे अपनी नई पीढ़ी को हस्तांतरित करने के लिए भी कुमाऊनी पहाड़ी और ब्रज की होली का गायन महिलाएं बड़े इत्मीनान से करती हैं ताकि होली के वह गीत जो सदियों से लोगों के मन मस्तिष्क में जमे हैं वह आने वाली पीढ़ी के लिए सामाजिक संदेश बन सके.
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