7 मई 2017 सुबह के साढ़े आठ बजे पहाड़ की सर्पीली सड़क में दौड़ती मेरी बाइक मई के महीने में भी गर्मी का अहसास करा रही थी (जबकि अमूमन पहाड़ ठंडा रहता है) लेकिन इस बार पहाड़ो में लगी आग, चोटियों से दिख रही धुंध इस बात की ओर इशारा कर रही थी कि ग्लोबल वार्मिंग जो कभी विज्ञान की किताबो में हमने पड़ा वो हिमालयी क्षेत्रो की ऊंची चोटियों में अगले कुछ दशकों में बड़ा खतरा पैदा करने वाला है.
इसी सोच में डूबे में अपनी बाइक के पिछली सीट में बैठे धुंध भरे पहाड़ो में बने सीढ़ीदार खेतो को निहार रहा था और खेती के लिए बने रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रोजेक्ट लगाकर खेती चमकने के ख्यालिया पुलाव दिमाग मे पका रहा था, कि तभी, बगेशवर से दो किलोमीटर आगे सड़क पर स्वागत बोर्ड में पुरानी सरकार के हारे विधायक ललित फर्स्वाण हाथ जोड़कर स्वागत कर रहे थे, लिखा था कि कपकोट विधानसभा और पिंडारी की खूबसूरत वेली में आपका स्वगत है , (जबकि वर्तमान में सत्ता परिवर्तन हो गया था, ललित फर्स्वाण की जगह अब बलवंत सिंह भौर्याल नए कपकोट के एमएलए बन गए थे, बोर्ड में हवा से लहराता काला कपड़ा ये भी बता रहा था, कि सरकार और विधायक बदलते ही ललित फर्स्वाण की फ़ोटो ओर नाम ढकने की कोशिश की गई हो लेकिन तेज हवा ने सरकार बनने के डेढ़ महीने में ही पुराने विधायक को फिर से हाथ जोड़कर स्वागत करने का मौका दे दिया था)
बगेश्वर में हालिया पूरे हुवे दो बाईपास के बारे में जानकारी दे रहा मेरा मौसेरा भाई मनोज शहर की यातायात ब्यवस्था की दुर्गति की कहानी सुनाते हुवे बड़े उत्साह से बाइक चला रहा था , कि तभी बोला कि बगेश्वर गरूड़ बाईपास और बगेश्वर मंडल सेरा बायपास , उत्तरायणी के मेले के दौरान होने वाली अब्यवस्थाओ से निपटने के लिए काफी है. हम पहाड़ में पलायन, रोजगार, शिक्षा और महिलाओं के संघर्ष के बारे में चर्चा करते हुवे आगे बढ़ रहे थे. सड़क के किनारे सूखे हैंडपंप, और पेयजल संस्थान के नल मानो ये बता रहे हो कि सालो से ये खुद प्यासे हो , कुछ महिलाएं सड़क के किनारे किनारे सर पर तेल के खाली टिन में पानी भर कर दूर दूर से चल कर आ रही थी,, आगे जारी है ,,क्रमश
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