लालकुआं- (बड़ी खबर)- कांग्रेस की पहली लिस्ट में किस दावेदार का नाम, दावेदारों की बड़ी धड़कन

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लालकुआं- उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां के बीच दो दिन पूर्व हरीश रावत ने यह ऐलान किया की 45 विधानसभाओं के लिए कांग्रेस के प्रत्याशियों की सूची तैयार हो चुकी है और जल्द उसे पहली लिस्ट के रूप में जारी कर दिया जाएगा। जिसके बाद से ही कांग्रेस के दावेदारों की धड़कनें बढ़ गई है लालकुआं विधानसभा की बात करें तो यहां औपचारिक रूप से पार्टी में एक दर्जन नेताओं ने अपनी दावेदारी जताई है। लेकिन टिकट एक को मिलना है लिहाजा दावेदारों की धड़कनें बढ़ी हुई है।

धारी से हुए परिसीमन से लालकुआं विधानसभा बनने के बाद 2012 में और 2017 में कांग्रेस का अधिकृत प्रत्याशी लालकुआं का विधायक नहीं बन पाया, 2012 में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर हरीश चंद्र दुर्गापाल ने यह सीट जीती, जबकि 2017 में लालकुआं सीट भाजपा की झोली में गई और भारी मतों से विधायक नवीन चंद्र दुमका बने। 2012 में कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी हरेंद्र बोरा चुनाव हारे, और 2017 में कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी हरिश चंद्र दुर्गापाल चुनाव हारे। यानी परिसीमन के बाद लालकुआं सीट कांग्रेस की झोली में नहीं गई है,

और पिछले राजनीतिक समीकरणों पर नजर डालें तो हरीश चंद्र दुर्गापाल और हरेंद्र बोरा आमने-सामने रहे हैं, हालांकि आज वह फिर दोनों कांग्रेस पार्टी में ही हैं, लेकिन उनकी सियासत का चरखा एक दूसरे के खिलाफ ही घूमता रहा है। 2012 में जब हरेंद्र बोरा को लालकुआं विधानसभा का टिकट मिला तो हरीश चंद्र दुर्गापाल ने निर्दलीय ताल ठोकी, और इसी तरह 2017 में जब हरिश चंद्र दुर्गापाल को कांग्रेस का टिकट मिला तो हरेंद्र बोरा ने निर्दलीय ताल ठोकी, और नुकसान दोनों बार कांग्रेस पार्टी को उठाना पड़ा। हालाकी हरीश चंद्र दुर्गापाल ने पीडीएफ संगठन बनाकर कांग्रेस की सरकार को समर्थन दिया था।

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2022 के विधानसभा चुनाव के लिए फिर से हरीश चंद्र दुर्गापाल, हरेंद्र बोरा, किरन संध्या डालाकोटी, राजेंद्र खनवाल, बीना जोशी सहित एक दर्जन नेताओं ने अपनी दावेदारी पेश की है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो टिकट की जंग हरीश दुर्गापाल और हरेंद्र बोरा के बीच में लड़ी जा रही है। और पहली लिस्ट में लालकुआं विधानसभा का अधिकृत प्रत्याशी का नाम होगा या नहीं ? इस पर भी बड़े संशय के बादल हैं, उधर यशपाल आर्य के पार्टी पर आ जाने से हरेंद्र बोरा को मनोवैज्ञानिक प्रोत्साहन मिला है।

लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का यह भी कहना है कि इस बार कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं है यदि टिकट बंटवारे में थोड़ी भी चूक हुई तो कांग्रेस को हेडविकेट होने से कोई नहीं रोक सकता। वहीं दूसरी तरफ पहले से ही गुटबाजी के दौर से गुजर रही कांग्रेस में लाख कोशिशों के बाद भी संगठनात्मक स्तर पर एकता नहीं दिखाई दी है। यहां तक कि ब्लॉक अध्यक्ष भी धड़ो में बटे हुए हैं। और भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने के बजाय अपनी ही पार्टी के दावेदारों के खिलाफ माहौल बना रहे हैं। फिलहाल यह माना जा रहा है लालकुआं में कांग्रेस का अधिकृत प्रत्याशी घोषित होते ही विधानसभा में सियासी भूचाल आएगा, और उस डैमेज को कंट्रोल करने के लिए कांग्रेस के पास कोई प्लान नहीं है।

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