पहाड़ के पिसी नूण

काकड़ीघाट- पहाड़ी पिसी नूण (नमक) को बनाया रोजगार का जरिया, यहां मिलेगा 52 प्रकार के पहाड़ी नूण का जायका

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काकड़ीघाट- यदि आप कभी घूमने उत्तराखण्ड के कुमाऊं क्षेत्र में आये हैं और आपने काकड़ीघाट में पहाड़ी पिसी नूण यानी (पहाड़ के पिसे नमक) का स्वाद नही लिया तो आपकी यात्रा अधूरी रह गयी, पहाड़ में अपने हुनर का अच्छा उपयोग करके यहां के स्थानीय लोग स्थानीय उत्पादों से नमक बनाकर देश ही नहीं विदेशों में भी पिसी नूण को अच्छी पहचान दिला रहे हैं ,क्योंकी यह नमक कई औषधीय गुणों का खजाना है ।

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आमतौर पर आपने बाजार से दो या तीन तरह के नमक का स्वाद लिया होगा लेकिन आपको यह जानकर बेहद हैरानी होगी की नैनीताल अल्मोड़ा मेन हाईवे पर स्थानीय लोग पहाड़ के उत्पादों को सिलबट्टे में पीसकर करीब 52 प्रकार का नमक बना रहे हैं, स्वाद ऐसा की एक बार आपने चख लिया तो इसके मुरीद हो जाएंगे, पिसी नूण बनाने के लिए काली मिर्च, लाल मिर्च, जीरा, अदरक, लहसुन, हींग, जीरा, तिल, भंगीरा, हरा धनिया, भूनी मिर्च, काला जीरा, अलसी, सरसों, मिक्स मसाले का बारी-बारी से नमक पिसकर रोजाना 5 से 10 किलो नमक सिलबट्टे पर तैयार कर उसके छोटे-बड़े पैकेटों में भरकर इसकी पैकिंग की जाती है। काकड़ीघाट गांव को भी अब पिसी नून यानी जायकेदार नमक हिमालयन फ्लेवर की पहचान मिल चुकी है, पहाड़ी पिसी नून के जरिये महिलाओं समेत करीब 15 स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिल रहा है ।

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पहाड़ के पिसी नूण (जायकेदार नमक) को खरीदने के लिए स्थानीय लोगों के अलावा पर्यटकों की भी भीड़ रहती है। गर्मी  और सर्दियों में बाहरी राज्यों से आने वाले पर्यटक भी सड़क किनारे रुककर पिसी नूण ले जाते हैं। भारत के अनेक शहरों में भेजने के साथ अब इसकी मांग विदेशों में बढ़ने लगी है। सैलानी एक साथ आधा या एक किलो पिसा हुआ अलग अलग स्वाद का नमक ले जाते हैं, कई सैलानी तो ऐसे हैं तो तीसरी बार केवल नमक खरीदने के लिए यहां तक घूमने आये ।

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पलायन और बेरोजगारी का सबसे सटीक जवाब है स्वरोजगार। स्वरोजगार यानी एक नई सोच जो आपके भीतर आत्मबल और आत्मसम्मान को जन्म देती है। पहाड़ी पिसी नून को भी स्थानीय लोग देश ही नही विदेशों में एक नई पहचान दे रहे हैं जो बेहद गर्व की बात है ।

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