हल्द्वानी- केंद्रीय निर्वाचन आयोग द्वारा उत्तराखंड समेत पांच राज्यों में चुनाव की तिथियां घोषित करने के बाद राजनीतिक दलों के सामने अब सबसे बड़ा संकट अपने प्रचार को लेकर है। महामारी के दौर में चुनाव का तरीका क्या होगा? यह निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है लेकिन राजनीतिक दलों को जाने पहचाने चेहरों को ही मैदान में उतारना होगा क्योंकि अब बड़ी रैलिया, रोड शो और जनसभा राजनीतिक दलों का माहौल नहीं बना पाएंगे, लिहाजा पार्टियों के पास सबसे बड़ी चुनौती घर-घर पकड़ रखने वाले दावेदारों की होगी, कुमाऊं की सबसे वीआईपी सीट हल्द्वानी विधानसभा में भी भाजपा के सामने असमंजस की स्थिति है, कि आखिर हल्द्वानी सीट पर कौन होगा बीजेपी का चेहरा?
भारतीय जनता पार्टी पूरे कुमाऊं मंडल में हल्द्वानी के अपने कार्यालय से संगठनात्मक गतिविधियों व बड़े-बड़े क्रियाकलाप करती है लेकिन हल्द्वानी विधानसभा में ही बीजेपी घुटने टेक देती है, अब तक इंदिरा का गढ़ कहे जाने वाले हल्द्वानी में भाजपा को कई बार करारी शिकस्त मिली है यहां तक कि, 2017 में मोदी लहर के साथ 57 सीटें पाने वाली बीजेपी फिर भी इंदिरा का किला नहीं गिरा पाई। पर आज हालात पहले जैसे नहीं रहे, लेकिन चुनौतियां वही है। हल्द्वानी में चुनाव नजदीक आते ही भाजपा में भले ही कई नेताओं ने अपनी दावेदारी जताई हो, लेकिन यह बात किसी से छुपी नहीं है अब से 6 महीने पहले तक भाजपा, विधानसभा में अपने दावेदारो को खोज रही थी, या यह कहा जाए की दावेदार विहीन विधानसभा कहलाई जा रही थी, लेकिन चुनाव आते ही फिर से कई चेहरे सामने आए, लेकिन चुनौती वही है कि चेहरा आखिर कौन होगा?
2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की स्थिति
विधानसभा चुनाव 2022 के चुनावी समर से पहले पिछले चुनाव में नजर डालें तो 2017 में 139644 मतदाता वाले हल्द्वानी विधानसभा में 93527 यानी 67 फ़ीसदी मतदान हुआ था, 15 फरवरी को वोटिंग और 11 मार्च को मतगणना हुई थी। जिसमे कांग्रेस के प्रत्याशी इंदिरा हृदयेश को 43786 वोट पड़े थे, जबकि भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी जोगेंद्र पाल सिंह रौतेला को 37229 वोट पड़े थे। वही समाजवादी पार्टी के शोएब अहमद को 10337 वोट मिले, जबकि शकील अहमद की बहुजन समाज पार्टी 1324 बोर्ड के साथ सिमट गई। तथा अन्य दावेदारों को भी 3 अंकों में वोट देकर मतदाताओं ने सिमटा दिया। और 6557 वोटों से इंदिरा हृदयेश यह सीट जीत गई। तत्कालीन मेयर उस समय भारतीय जनता पार्टी के विधानसभा के उम्मीदवार रहे। लेकिन उनकी हार के बाद लंबे समय तक पार्टी कार्यकर्ताओं के मुंह से यह बात निकलती रही कि अगर योगी आदित्यनाथ की रैली को यहां आयोजित करा दिया जाता, तो शायद यह सीट भी भाजपा की झोली में होती।
हल्द्वानी सीट में बीजेपी के दावेदार..
दावेदारों की बात की जाए तो हल्द्वानी सीट पर दो बार से मेयर और पिछला विधानसभा चुनाव लड़ चुके डॉक्टर जोगेंद्र पाल सिंह रौतेला, इसके अलावा पूर्व दर्जा मंत्री और लंबे समय से हल्द्वानी नजूल क्यों संघर्ष समिति के संयोजक प्रकाश हर्बोला, हाल ही में हल्द्वानी सीट पर अपनी दावेदारी जताने वाले नगर निगम के पार्षद प्रमोद तोलिया, वरिष्ठ भाजपा नेता हरीश पांडे सहित कई दावेदारों ने अपनी दावेदारी जताई है, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के करीबी शंकर कोरंगा भी नेताओं वाले कपड़े सिलवा कर जगह-जगह खुद की दावेदारी की बात भी कर रहे हैं। इसी तरह के कई और नेता भी चुनाव में पोल पर लटके हुए देखे जा सकते हैं। लेकिन भाजपा के सामने सवाल वही है कि कांग्रेस को चुनौती देने वाला चेहरा किसे माना जाए। गाहे-बगाहे भाजपा नेता और कार्यकर्ता यह भी कहते हैं कि कालाढूंगी से सुरेश भट्ट और हल्द्वानी से फिर से बंशीधर भगत को मौका दिया जा सकता है लेकिन यह फिलहाल कयास ही हैं।
हल्द्वानी सीट पर भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती
चुनावी माहौल में कार्यकर्ताओं और समर्थकों को बल मिल सके इसके लिए भरपूर कोशिशों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हल्द्वानी विधानसभा के अंतर्गत विशाल जनसभा आयोजित करा दी गई, यही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंच से 2025 करोड़ की घोषणा कर हल्द्वानी की तस्वीर बदलने की बात भी की, लेकिन भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है की प्रधानमंत्री की रैली विधानसभा में कराने के बाद और उनकी 2025 करोड़ की घोषणा करने के बाद भी अगर यह सीट भाजपा के खाते में नहीं गई तो केंद्रीय नेतृत्व को भाजपा नेता क्या मुंह दिखाएंगे…






अपने मोबाइल पर ताज़ा अपडेट पाने के लिए -
👉 व्हाट्सएप ग्रुप को ज्वाइन करें
👉 यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें
हमारे इस नंबर 7017926515 को अपने व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ें