उत्तराखंड भाषा संस्थान ने घोषित किए उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान

देहरादून : उत्तराखंड भाषा संस्थान ने वर्ष 2024 के उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान की सूची जारी कर दी है। प्रख्यात कथाकार सुभाष पंत को पहला ‘उत्तराखंड साहित्य भूषण सम्मान’ दिया जा रहा है। उनकी प्रमुख कृतियों में ‘एक रात का फासला’, ‘छोटा हुआ आदमी’, ‘एक का पहाड़ा’, ‘पहाड़ चोर’, ‘मुन्नी बाई की प्रार्थना’, ‘पहाड़ की सुबह’, ‘सुबह का भूला’, ‘सिंगिग बेल’ और ‘इक्कीसवीं सदी की एक दिलचस्प दौड़’ शामिल हैं।
उत्तराखंड भाषा संस्थान से जारी सूची में दीर्घकालीन उत्कृष्ट साहित्य सृजन सम्मान, साहित्य नारी वंदन सम्मान, बाल साहित्य लेखन सम्मान, मौलिक पुस्तक लेखन सम्मान, नवोदित साहित्य उदीयमान सम्मान और पत्र-पत्रिका लेखक सम्मान पाने वाले भी शामिल हैं। यह समारोह तीन मार्च को सर्वे चौक स्थित आईआरडीटी सभागार में आयोजित किया जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और भाषा मंत्री सुबोध उनियाल ने सभी साहित्यकारों और लेखकों को बधाई दी है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि उत्तराखंड के साहित्य साधकों को

बाल साहित्य लेखन के लिए डिमरी को सम्मान
■ उत्तराखंड नारी वंदन सम्मान के तहत गौरा पंत शिवानी सम्मान शमा खान को दिया जाएगा।
■ बाल साहित्य लेखन के लिए मंगलेश डबराल सम्मान सतीश डिमरी को दिया जाएगा।
■ उत्तराखंड नवोदित साहित्य उदीयमान सम्मान के तहत गिरीश
तिवारी ‘गिर्दा’ पुरस्कार डॉ. पवनेश ठकुराठी और विद्यासागर नौटियाल पुरस्कार अनूप सिंह रावत को दिया जाएगा।
■ साहित्यिक पत्र-पत्रिका लेखन सम्मान के तहत भैरव दत्त धूलिया सम्मान हलंत पत्रिका को मिलेगा।
पाठक को दीर्घकालीन उत्कृष्ट साहित्य सम्मान
हिंदी साहित्य में दीर्घकालीन सेवाओं के लिए दिया जाने वाला सुमित्रा नंदन पंत सम्मान डॉ. दिनेश पाठक को दिया जा रहा है। पाठक ने ‘पहाड़ कंथा’, ‘एक नदी थी कहां’, ‘रात के बाद’, ‘इन दिनों वे उदास हैं’, ‘नस्ल’, ‘नाव न बांधो ऐसी ठौर’, ‘हवा है’ जैसी रचनाएं की हैं। उर्दू साहित्य में दीर्घकालीन सेवा के लिए प्रो. उन्वान चिश्ती सम्मान डॉ. सगीर अशरफ को दिया जा रहा है, जिन्होंने ‘उर्दू तहरीक-वा-तबकीद के हवाले से’ जैसी रचना की।
सम्मानित किए जाने से साहित्यिक परंपरा को और विस्तार मिलेगा। साहित्यकारों में नवचेतना का संचार होगा। मंत्री उनियाल ने कहा कि साहित्यसेवी पुरोधाओं का सम्मान करना उत्तराखंड भाषा संस्थान का दायित्व है।
गढ़वाली-कुमाउनी साहित्यकारों को पुरस्कारः कुमाउनी साहित्य में दीर्घकालीन सेवा के लिए गुमानी पंत सम्मान गोपाल दत्त भट्ट को दिया जाएगा। भट्ट ने ‘गिनि-आखर’, ‘घर्तिकि पीड़’, ‘हिटनैर वौ’, ‘हिटने
रवौ’, ‘फिर आल फागुण’ पुस्तकें लिखी हैं। गढ़वाली साहित्य में दीर्घकालीन सेवा के लिए दिया जाने वाला भजन सिंह ‘सिंह’ सम्मान कुलानंद्र घनशाला को दिया जा रहा है। उन्होंने ‘गढ़वाली रामलीला’, ‘हुणत्यालि डालि’, ‘रंगछौल’ जैसी रचनाएं कीं। अन्य बोलियों में दीर्घाकालीन सेवा के लिए गोविंद चातक सम्मान सुनीता चौहान को दिया जाएगा। उन्होंने ‘सुनेरी चलकुड़ी’, ‘आईना’, ‘पहाड़ के उस पार’, ‘अलबेली चमेली’ जैसी रचनाएं की हैं।
बडोनी, पंवार और नैथानी लेखन पर नवाजे जाएंगे
■ महाकाव्य, खंड काव्य एवं काव्य रचना श्रेणी में महादेवी सम्मान शशिभूषण बडोनी को उनकी पुस्तक ‘पत्थर की लकीरें’ के लिए मिलेगा।
■ कथा साहित्य श्रेणी में शैलेश मटियानी पुरस्कार ललित मोहन रयाल की पुस्तक ‘चाकरी चतुरंग’, हिंदी की अन्य गद्य विधाओं के लिए डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल पुरस्कार नीरज नैथानी की पुस्तक ‘हिमालय में पथारोहण’ के लिए मिलेगा।
■ गढ़वाली गद्य विधा के लिए भवानी दत्त थपलियाल पुरस्कार वीरेंद्र पंवार की पुस्तक ‘ब्यूंत विचार’ को मिलेगा।
- गढ़वाली पद्य विधा के लिए कन्हैयालाल डंडरियाल पुरस्कार मदन मोहन डुकलाण की पुस्तक ‘तेरी किताब छौं’ के लिए दिया जाएगा।
- कुमाउनी की गद्य विधा में बहादुर बोरा पुरस्कार महेंद्र ठकुराठी की पुस्तक ‘हिमुलि परफाम’ के लिए दिया जाएगा।
■ कुमाउनी पद्य विधा के लिए शेर सिंह बिष्ट ‘अनपढ़’ पुरस्कार मोहन जोशी की पुस्तक ‘शिव कब्या’ के लिए मिलेगा।





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