काव्य

वो स्त्रियां थी, उन्हें खानों में छांटा गया,  बहन, बेटी, बहू की पोटलियों में बांध कर, समयानुसार बांटा गया!

वो स्त्रियां थी, उन्हें खानों में छांटा गया, बहन, बेटी, बहू की पोटलियों में बांध कर, समयानुसार बांटा गया!

… वो चादरें थीं ढक लेतीं मान की बदसूरत गांठें सिखातीं पसारना ज़रूरतें अपनी हद