कुछ गुज़रे लम्हें, तुम्हे दिल से चाहा था, दुवाओं में मांगा था.

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तुम्हे दिल से चाहा था , दुवाओं में मांगा था.
ये दुनिया जब सोती थी रातों को , ये दिल तेरी यादों में जागा था ।


वो दिन थे खूबसूरत से , तो श्यामें भी हसीन थी , सुबह का हाल न पूछों, मगर रातें दिलकश थीं ।


तुम्हारा सब से छिप – छिप के यूँ मुझसे मिलने चले आना,
कभी उंगली पकड़ लेना , कभी नज़रे मिला लेना , कभी खामोशियों से बस मुझे यूँ देखते रहना ।

कभी कहना मुझको चाँद , कभी मुझको जान कह देना,
मोहब्बत की न जाने कितनी ही निशानियां है दिल में ,
कभी तुम्हारी याद में छिप – छिप के रो लेना , न हो तुम पास अगर तो तकिये को बाहों में भर , जी भर के रो लेना ।

कभी ये सोचना के तुम पास हो मेरे , कभी सीने से लग जाना , कभी तुम में सिमट जाना
तुम्हे दिल से चाहा था ,,,,,,,हां बस तुम्हे दिल से चाहा था ।।

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