कुमाऊँनी

उत्तराखंड- ‘काफल’ पहाड़ का फल ही नही संस्कृति भी है पर क्यों पड़ी इस बार ‘काफल’ की चमक फीकी?

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नैनीताल– उत्तराखंड के जंगलों में और पहाड़ी ग्रामीण परिवेश में इन दिनों का फल की

‘बखता त्यार बलाई ल्हयून’ सटीक बैठती है शेरदा ‘अनपढ़’ की ये रचनाएं

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च्यल मारनो बाप कै लात, सास ज्वेड़ने ब्वारी हाथ, च्याल ब्वारियोक खिलखिलाट, ओ बाज्यू बुढ़