हल्द्वानी- नित नया सीखने वाला ही हो सकता है एक कुशल शिक्षक : डॉ. शिवकुमार

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Haldwani News- उत्‍तराखण्‍ड मुक्‍त विश्‍वविद्यालय द्वारा  ‘21 वीं शताब्‍दी के कौशल और वैश्विक शैक्षिक परिदृश्‍य’ विषय पर एक राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी का आयोजन किया गया। संगोष्‍ठी में मुख्‍य वक्‍ता के रूप में डॉ0 शिवकुमार जी अखिल भारतीय मंत्री, विद्या भारती, अखिल भारतीय शिक्षा संस्‍थान, नई दिल्‍ली ने हिस्‍सा लिया। अध्‍यक्षता कुलपति प्रो0 ओ0 पी0 एस0 सिंह नेगी ने की। विश्‍वविद्यालय के वरिष्‍ठ प्रोफेसर प्रो. आर. सी. मिश्र ने मुख्‍य अतिथि का स्‍वागत किया और विषय परिचय दिया । कार्यक्रम का संचालन डॉ. सूर्यभान सिंह ने किया।  


‘21 वीं शताब्‍दी के कौशल और वैश्विक शैक्षिक परिदृश्‍य’ पर आयोजित संगोष्‍ठी में मुख्‍य अतिथि व मुख्‍य वक्‍ता के रूप में उपस्थित डॉ0 शिव कुमार ने कहा कि एक शिक्षक के नाते सर्वप्रथम हमे यह सोचना चाहिए कि क्‍या हम 21 वीं सदी के शिक्षक रूप में तैयार हैं ? यानि 21 वीं सदी में जिस शिक्षा की आवश्‍यकता है क्‍या हम उस शिक्षा को प्रदान करने के लिए तैयार हैं।  उन्‍होंने पॉवर प्‍वाइंट प्रस्‍तुति के साथ संगोष्‍ठी विषय पर अपना व्‍याख्‍यान दिया। डॉ0 शिवकुमार ने कहा कि जो नित नया सिखने के लिए तत्‍पर रहता है वही एक सफल और कुशल शिक्षक होता है।


      वैश्विक शैक्षिक परिदृश्‍य में उन्‍होंने शिक्षा के आयामों को बताते हुए कहा कि शिक्षा अर्थकारी, रोजगारकारी, सम्‍मानकारी, यज्ञकारी और संस्‍कारकारी होनी चाहिए। उन्‍होंने कहा कि 21 शदी के कौशल अधिगम, विश्‍लेषणात्‍मक चिंतन, सृजनात्‍मक, सहयोग, सहयोगात्‍मक, संप्रेषणात्‍मक, साक्षरता कौशल, सूचना कौशल, प्रौद्योगिकी, नेतृत्‍व विकास और पहल वाली प्रवृ‍त्ति की होनी चाहिए।

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अध्‍यक्षीय उद्भोदन में कुलपति प्रो0 ओ0 पी0 एस0 नेगी ने कहा कि वर्तमान में एक शिक्षक को चाहिए कि वह बहुआयामी हो, अपने आप को एक विषय तक सीमित न रखे, तभी वह एक कुशल शिक्षक बन सकता है । उन्‍होंने कि डिंसटेंस और डिजिटल शिक्षा पद्धति इसमें अहम भूमिका निभा सकती है।

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कार्यक्रम में विश्‍वविद्यालय की कुलसचिव प्रो0 रश्मि पंत ने मुख्‍य अतिथि और अन्‍य सभी प्रतिभागियों का धन्‍यवाद किया तथा भविष्‍य में इस तरह के कार्यक्रमों में छात्रों को भी प्रतिभाग करने की बात कही। उन्‍होंने कहा कि भविष्‍य में इस तरह की संगोष्ठियां करते रहेंगे।
इस अवसर पर प्रो0 गिरीजा पाण्‍डेय, प्रो0 पी0 डी0 पंत, प्रो0 ए0 के0 नवीन, वित्‍त नियंत्रक, आभा गर्खाल, डा0 डिगर सिंह फर्स्‍वाण, डॉ0 गगन सिंह, डॉ0 भानू जोशी, डॉ0 अरविन्‍द भट्ट, डॉ0 सुनिल कुमार त्रिपाठी आदि शिक्षक मौजूद थे।  

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