खटीमा: विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत किसानों को दी गई ये महत्वपूर्ण जानकारी

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खटीमा : गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, पंतनगर के वैज्ञानिकों की टीम ने “विकसित कृषि संकल्प अभियान” २०२५ के अंतर्गत उधम सिंह नगर जिले के खटीमा ब्लॉक के ग्राम भागचुरी, जाधोपुर एवं बरी में कृषि बिभाग के साथ मिलकर किसानों को जागरूक किया। कार्यक्रम का नेतृत्व निदेशक विस्तार, डॉ. जितेन्द्र क्वात्रा द्वारा किया गया। इस दौरान किसानों को उन्नत कृषि तकनीकों, फसल प्रबंधन, कीट प्रबंधन, जैविक खेती, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन, पशुपालन और कृषि आधारित उद्यमिता के विविध पहलुओं पर महत्वपूर्ण जानकारी दी गई। कृषि बिभाग से श्रीमती विधि उपाध्याय, कृषि एवम भूमि संरक्षण अधिकारी, श्री कुंदन मनोला की टीम उपस्थित थी।
इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय की टीम में डॉ. बी. डी. सिंह, प्रोफेसर, सस्य विज्ञान विभाग; डॉ. अजय प्रभाकर, जॉइंट डायरेक्टर, कृषि विज्ञान केंद्र, काशीपुर; डॉ. संजय चौधरी, जॉइंट डायरेक्टर, प्रसार निदेशालय; डॉ. अर्पिता शर्मा कांडपाल, सहायक प्राध्यापक, कृषि संचार विभाग; डॉ. मीना अग्निहोत्री, प्रोफेसर, कीट विज्ञान विभाग; डॉ. वीनिता राठौर, सहायक प्राध्यापक, एग्रोनॉमी विभाग; और डॉ. मंजुलता, सहायक प्राध्यापक, पशु विज्ञान विभाग शामिल थे।
इस अवसर पर डॉ. अजय प्रभाकर ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों के साथ संवाद स्थापित कर उनकी समस्याओं का समाधान करना है। उन्होंने खरीफ एवं रबी फसलों की उन्नत तकनीकों की जानकारी साझा की। डॉ. बी. डी. सिंह ने कहा कि कृषि उत्पादन में वृद्धि के लिए मृदा परीक्षण, संतुलित पोषण प्रबंधन और फसल चक्र का पालन आवश्यक है। डॉ. संजय चौधरी ने कहा कि किसानों को परंपरागत कृषि के साथ-साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाकर अपनी आय बढ़ानी चाहिए।

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डॉ. अर्पिता शर्मा कांडपाल ने कहा कि कृषि में जानकारी और नवाचार का आदान-प्रदान बेहद जरूरी है, जिसके लिए किसानों को प्रशिक्षण कार्यक्रमों, सामुदायिक रेडियो, मोबाइल एप और डिजिटल माध्यमों का अधिकाधिक उपयोग करना चाहिए। डॉ. मीना अग्निहोत्री ने कहा कि फसल संरक्षण के लिए जैविक कीटनाशकों और प्राकृतिक तरीकों को अपनाना आवश्यक है, ताकि पर्यावरण की रक्षा हो और उत्पादन लागत में कमी आए। डॉ. वीनिता राठौर ने कहा कि किसान ड्रिप सिंचाई, मल्चिंग और अंतरवर्ती फसल प्रणाली जैसी स्मार्ट कृषि तकनीकों को अपनाकर कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। डॉ. मंजुलता ने कहा कि पशुपालन को कृषि का अभिन्न हिस्सा बनाकर किसान अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं और पोषण सुरक्षा भी सुनिश्चित कर सकते हैं।
कार्यक्रम के अंत में किसानों ने वैज्ञानिकों से प्रश्न पूछे और अपनी समस्याओं पर चर्चा की। वैज्ञानिकों ने किसानों की जिज्ञासाओं का समाधान किया और उन्हें विश्वविद्यालय द्वारा संचालित विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया।

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