पहाड़ की बेटी ने सेनेटरी पैड का बनाया पहाड़ी ब्रांड

पहाड़ की बेटी ने सेनेटरी पैड का बनाया पहाड़ी ब्रांड, महिलाओं को भी ऐसे दिया स्वरोजगार, आप भी जुड़े इस मुहिम से.

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पिथौरागढ- उत्तराखंड में जितने ऊंचे पहाड़ हैं तो उतनी ही ऊंची कठिनाइयां भी हैं और खासकर महिलाओं का जीवन जो कि यहां के पहाड़ की तरह कठिन है ऐसे में पहाड़ की एक बेटी ने महिलाओं में सेनेटरी पैड के इस्तेमाल के प्रति न सिर्फ जागरूकता पैदा की, बल्कि महंगे विदेशी सेनेटरी पैड को टक्कर देने के लिए सेनेटरी पैड का प्रोडक्शन कर उसे पहाड़ी ब्रांड बना डाला। आज यह पहाड़ की बेटी न सिर्फ ब्रांडेड सेनेटरी पैड की अपेक्षा बेहतर पैड का निर्माण कर रही है बल्कि इसे स्वरोजगार का जरिया बनाकर 1 दर्जन से अधिक महिलाओं को रोजगार भी उपलब्ध करा रही हैं आइए जानते हैं कैसे पहाड़ की इस बेटी ने पहाड़ से संघर्ष कर महिलाओं को बीमारियों से दूर करने के लिए सेनेटरी पैड का ब्रांड बना कर महिलाओं को प्रोत्साहित किया..

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कविता ऐरी

उत्तराखंड के पहाड़ी सीमांत जिले पिथौरागढ़ में रहने वाली कविता एरी ने महिलाओं की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए सेनेटरी पैड के निर्माण की दिशा में कदम उठाया। विदेशी कंपनियों के सेनेटरी पैड पहाड़ में काफी महंगे होने के चलते उन्होंने खुद का एक ब्रांड बनाने का सपना लेकर काम शुरू किया और सही सोच और सही दिशा में काम करते हुए उनका यह सपना आखिरकार पूरा हुआ उन्होंने यशस्वी एंटरप्राइजेज नाम से फर्म बनाकर महिलाओं के लिए आरामदायक सेनेटरी पैड ” कौम्फी पैड” Comfy Pads का प्रोडक्शन शुरू किया। शुरुआत में ही उनकी इस मुहिम का इतना सकारात्मक असर हुआ कि आज 1 महीने के भीतर 13 महिलाओं को उन्होंने स्वरोजगार के लिए अपने इस काम से जोड़ा है पूरे पिथौरागढ़ जिले के अलावा अब वह अन्य जिलों में भी पहाड़ी ब्रांड की कौम्फी सेनेटरी पैड बाजार में उपलब्ध करा रहे हैं।

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कौम्फी पैड Comfy pads के निर्माता कविता ऐरी जोकि पत्नी लक्ष्मण सिंह मूलनिवासी छंडनदेव कनालीछीना के मटक्वाली गॉव की रहने वाली है उन्होंने एम ए संस्कृत से पढ़ाई करते हुए महिलाओं की इस समस्या के समाधान को ही रोजगार बनाने का रास्ता अपनाया और अपने जिले में बेहतर सस्ता और टिकाऊ क्वालिटी के सेनेटरी पैड बनाने की सोच को साकार कर के दिखाया फिलहाल वह यशवी इंटरप्राइजेज के नाम से विदेशी कंपनियों की टक्कर की कौम्फी पैड निर्माण कर रही है।

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कविता ऐरी का कहना है कि विदेशी कंपनियों के रेट से पहाड़ के उनके ब्रांड के सेनेटरी पैड के रेट काफी कम है जिसमें छोटा पैक ₹35 और बड़ा पैक ₹50 का है जिसमें कि महंगे विदेशी पैक की अपेक्षा एक तिहाई की बचत है। फिलहाल महिलाओं को सेनेटरी पैड के प्रति जागरूक करते हुए पहाड़ के ब्रांड को लोगों तक पहुंचाने के लिए 13 महिलाएं इस संस्था से जुड़कर गांव गांव पहुंचा रही है इसके अलावा अन्य जिलों से भी अब डिमांड आने लगी है।

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संस्था की संस्थापक कविता ऐरी ने बताया की पहाड़ की सस्ती टिकाऊ और बेहतर कौम्फी पैड के डिस्ट्रीब्यूटरशिप या बाजार उपलब्ध कराने के लिए आप उनके 81918 70505 नंबर पर संपर्क कर सकते हैं। अब आपको बताते हैं कि आखिर महिलाओं के लिए क्यों जरूरी है सैनिटरी पैड?

भारत में माहवारी को लेकर जागरुकता का अभाव है, जो स्वास्थ्य से संबंधित कई समस्याओं कारण बन सकता है. खासतौर से ग्रामीण इलाकों में रहने वाली महिलाओं में इसे लेकर कई तरह की भ्रांतियां देखने को मिलती हैं. संभवत: यही वजह है कि ग्रामीण इलाकों में अब तक सेनिटरी पैड के इस्तेमाल को लेकर बहुत कम जागरुकता है. हालांकि इसके पीछे एक कारण सेनिटरी पैड की लागत भी है. ग्रामीण इलाकों में रहने वाली हर महिला इसका खर्च नहीं उठा सकती अब भी 88 फीसदी नहीं खरीद पातीं सेनेटरी पैड Sanitary Protection: Every Woman’s Health Right नाम से की गई स्‍टडी में ये बात सामने आई थी कि अभी भी हमारे देश में 88 फीसदी महिलाएं सेनिटरी नैपकिंस का प्रयोग नहीं करती हैं. वे आज भी पुराने तरीकों जैसे कपड़े, अखबारों या सूखी पत्तियों का प्रयोग करती हैं. इसका कारण ये है कि वे सेनेट्री नैपकिंस को खरीदने में सक्षम नहीं हैं.

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इन खतरों की जद में महिलाएं डॉक्‍टर्स का कहना है कि यही कारण है कि करीब 70 प्रतिशत महिलाएं reproductive tract infections से पीडि़त हैं. जहां तक कपड़े की बात है, तो ये एक पुराना तरीका है. पर जानकार कहते हैं कि बार-बार कपड़े को प्रयोग किए जाने के लिए धोना और फिर उसे धूप में सुखाने से महिलाएं अक्‍सर इन्‍फेक्‍शन का शिकार हो जाती हैं

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