हल्द्वानी- मशहूर एक्ट्रेस और टीवी डायरेक्टर नीना गुप्ता ने मुक्तेश्वर में लिखी किताब, हल्द्वानी की बेटी कर रही संपादन

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हल्द्वानी- मशहूर एक्ट्रेस और टीवी डायरेक्टर नीना गुप्ता ने लॉकडाउन के दौरान नैनीताल की खूबसूरत वादियों के बीच मुक्तेश्वर के अपने घर में साढ़े 5 महीने के दौरान अपने जीवन का संस्मरण ‘सच कहूं तो’ लिखा है। जिसमें उनके जीवन का अनुभव जिसमें उन्होंने दिल्ली के करोल बाग से राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में 1980 के दशक में मुंबई जाने और काम लेने के लिए संघर्ष के बारे में लिखा है। जिसे पब्लिशिंग हाउस पेंगुइन रेंडम हाउस इंडिया द्वारा पब्लिश किया जाएगा ।

उनके सिद्धांतों का सभी लोहा मानते थे, चूँकि उनमें अंतर्राष्ट्रीय विवादों को सुलझाने तक की मारक क्षमता विद्यमान थी..

नीना गुप्ता ने बताया कि कोरोना कॉल के दौरान वह उत्तराखंड के मुक्तेश्वर में थी जहां उन्हें एहसास हुआ कि उन्हें अपनी जीवन यात्रा के बारे में लिखना चाहिए और काफी लंबे समय से वह इस बारे में सोच रहे थे लेकिन उन्होंने इस लॉकडाउन के साढ़े 5 महीने में उनके संस्मरण “सच कहूं तो” को पूरा लिख दिया है अब लगभग पांच 6 महीने में यह किताब नीना गुप्ता के फैंस और पाठकों के हाथ में होगी। हल्द्वानी के लिए सबसे खास बात यह है कि इस किताब का संपादन हल्द्वानी की होनहार बेटी कर रही है।

उस दौर में एक ओर मुर्गी चोरी बड़ा तुच्छ किस्म का सामाजिक अपराध माना जाता था, तो दूसरी ओर जोखिम उठाने वाले युवाओं की आपसदारी में ‘कुक्कुट हरण’ को एडवेंचर किस्म का दर्जा हासिल रहता था…पढ़े कहानी…….

पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया के वरिष्ठ कमीशनिंग एडिटर गुरवीन चड्ढा ने इस पुस्तक का सम्पादन किया है इन दिनों गुरवीन चड्ढा अपने मूल निवास हल्द्वानी में है। वह यहीं से कार्य रही है। गुरवीन चड्ढा सामाजिक कार्यकर्ता गुरविंदर सिंह चड्ढा की बेटी है। उन्होंने कहा कि नीना पीढिय़ों से महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है, और मुझे खुशी है कि उन्होंने अपनी अविश्वसनीय जीवन कहानी साझा करने के लिए पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया को चुना है।

यह एक ट्रेनिंग कॉलेज की कथा है, जिसमें एक ट्रेनी शिक्षक कुछ चालू पुरजों के बीच फँस जाता है… पूरी पढ़ें..

गौरतलब है कि अभिनेत्री नीना गुप्ता दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता, फिल्म निर्माता, निर्माता और टेलीविजन व्यक्तित्व हैं। उन्होंने 1980 के दशक में दिल्ली के धमाकेदार थिएटर दृश्य में अपना करियर शुरू किया, लेकिन 1982 के अकादमी पुरस्कार विजेता गांधी में अभिनय करने के बाद फिल्म और टेलीविजन पर स्विच करने का फैसला किया। वह खंडन और मिर्जा ग़ालिब जैसे कई समीक्षकों द्वारा प्रशंसित टेलीविजन शो में अभिनय करने गई थीं। उन्होंने मंडी, त्रिकाल और जाने भी दो यारों जैसे कला-घर और स्वतंत्र फिल्मों में भी बड़े पैमाने पर काम किया। नीना ने कई टेलीविजन शो का निर्देशन, निर्माण और अभिनय किया है जिसमें सास, सिस्की और सोन परी शामिल हैं। उनकी सबसे हालिया रचनाओं में बधाई हो, शुभ मंगल सावधान, पंचायत और द लास्ट कलर में पुरस्कार विजेता प्रदर्शन शामिल हैं।

यात्रा वृत्तांत (छटा व अंतिम भाग) उत्तराखंड के कपकोट विधानसभा के कलाग ग्रामसभा की दर्द भरी कहनी.

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