देहरादून : इस अधिकारी ने त्रस्त होकर दिया नौकरी से इस्तीफा

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यह अर्द्धशासकीय पत्र विनम्रता के साथ आपकी सेवा में स्वयं के राजकीय सेवा से त्याग पत्र के निमित्त प्रेषित है, 27 मार्च 1999 को शैक्षिक प्रशासन में सेवा में योगदान से अद्यावधि तक सम्पूर्ण निष्ठा के साथ विभाग, राज्य एवं हितधारको जी सेवा की है तथा शिक्षा विषयक सभी योजनाओं एवं नीतियों के क्रियान्वयन एवं नय प्रवर्तक पहल कदमियों की अधिकतम प्रभाविता के साथ लागू करने में अपने पदानुक्रम के दृष्टिगत स्वयं की भूमिका का सम्यक निर्वहन किया है. महोदय शासकीय आदेशो/ प्रदत्त दायित्वों का अनुपालन राज्य के प्रत्येक कार्मिक का बुनियादी कार्यभार है. अतः उसका उल्लेख समीचीन नहीं है. इससे इतर अपनाए गए नवाचार एवं अन्य पहलकदमी के सम्बन्ध में अपनी आख्या अनुसचिव उत्तराखण्ड शासन के माध्यम से आपकी सेवा में प्रेषित कर दी गई है।

1- वर्ष 2002 में राज्य के प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री जी द्वारा जवाहर नवोदय विद्यालय के अनुरूप राज्य में राजीव गाधी नवोदय विद्यालयों की स्थापना की संकल्पना प्रस्तुत की गई, राज्य की राजधानी में प्रथम रा०गां० नवी०वि० के विचार को अमल में लाने के लिए मुझे नोडल अधिकारी बनाया गया, तत्कालीन जिलाधिकारी महोदया श्रीमती राधा रतूडी जी द्वारा ननूरखेडा में भूमि चिन्हित किए जाने के सम्बन्ध में मुझे अवगत कराया गया, महोदय भूमि चिन्हित किए जाने को अधिकृत मानते हुए मेरे द्वारा पोकलेन द्वारा भूमि समतलीकरण एवं अन्य कार्यवाही करते हुए 09 नवम्बर 2002 को मा० मुख्यमंत्री जी के हाथों राज्य के प्रथम राजीव गाधी नवोदय विद्यालय का शिलान्यास करवाया गया 24 अक्टूबर से 09 नवम्बर 2002 तक स्थानीय लोगों के साथ-साथ ग्राम पंचायत ननूरखेडा निवासी एवं राज्य के श्रम् परिवहन मंत्री श्री हीरा सिंह बिष्ट जी का कोपभाजन बनना पड़ा, महोदय आज उसी परिसर में रा०गा० नवो० वि० के साथ-साथ इग्नू का कार्यालय स्थित है. एस०सी०ई०आर०टी० भी दस वर्षों तक इसी परिसर में संचालित रहा है, और राज्य का VIRTUAL STUDIO भी।

2- महोदय, वर्ष 2004 में निदेशक, विद्यालयी शिक्षा श्री एस०के० माहेश्वरी द्वारा मुझे शिक्षा अधिनियम एवं विभिन्न संवर्गों के सेवानियमों का नवीन ड्राफ्ट तैयार करने हेतु समन्वयक नियुक्त किया गया, उत्तर प्रदेश में लागू इण्टरमीडिएट एक्ट-1921 तथा बेसिक शिक्षा अधिनियम 1972 को एकीकृत कर उत्तराखण्ड विद्यालयी शिक्षा अधिनियम तैयार किया गया, शिक्षकों एवं अन्य कार्मिक सवर्गों के सेवा सम्बन्धी 300 के लगभग न्यायालयी वाद एवं उनमें पारित निर्णयों का अध्ययन करते हुए मिनिस्ट्रीयल सवर्ग, प्रारम्भिक शिक्षा सेवा नियम, प्रशिक्षित स्नातक सेवा नियम, प्रवक्ता सेवा नियम, निरीक्षक संवर्ग सेवा नियम एवं प्रधानाचार्यों से लेकर निदेशक तक के लिए सेवा नियमो के ड्राफ्ट तैयार किए गए, इसी आधार पर उत्तर प्रदेश में लागू बेसिक शिक्षा परिषद को भग कर प्रारम्भिक शिक्षा का राजकीयकरण किया गया।

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3- अनुसचिव, उत्तराखण्ड शासन एवं महानिदेशक, विद्यालयी शिक्षा, उत्तराखण्ड के माध्यम से आपकी सेवा में प्रेषित 03 बिन्दुओं का उल्लेख केवल इस उ‌द्देश्य से किया जा रहा है कि फरवरी 2025 में घोषित रिक्तियों के साथ ही अर्हता होने के बावजूद 08 माह से अपर निदेशक स्तर पर पदोन्नति की प्रतीक्षा हताशा में बदल गई है।

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महोदय विभाग हमसे उचित ही अपेक्षा करता है कि अधीनस्थ कार्मिकों / शिक्षकों के सेवा विषयक प्रकरण यथा, पदोन्नति, चयन/प्रोन्नत वेतनमानों का निस्तारण, सेवानिवृत्तिक लाभों का समयबद्ध निस्तारण किया जाय, अपवाद स्वरूप कई अवसरों पर विलम्ब के लिए अधिकारियों को भर्त्सना भी मिलती है, किन्तु अब हमें प्रतीत होता है कि हमारी कोई अपेक्षा अथवा आकाक्षा नहीं है।

  • महोदय, विगत 08 माह तक अपर निदेशक पद पर पदोन्नति की प्रतीक्षा एक यन्त्रणा में बदल गई है साथ ही इस सम्बन्ध में कोई समुचित कारण से भी अवगत नहीं कराया गया है।
  • अतः आपकी सेवा में विनम्र अनुरोध है कि मुझे शासकीय सेवा से मुक्त करने की महती कृपा करेंगे।

आभार सहित।

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