देहरादून-(बड़ी खबर) कक्षा दो तक केवल दो किताबें और पांचवी तक 3 विषयों की पढ़ाई

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  • बच्चों पर पढ़ाई का बोझ कम करने के लिए तय किए गए यह मानक, दूसरी कक्षा तक दो और पांच तक तीन विषयों की पढ़ाई।

देहरादून– राष्ट्रीय शिक्षा नीति–2020 के प्रावधान में आने के बाद से ही शिक्षा के क्षेत्र में काफी बदलाव किए जा रहे हैं। जिसके तहत बच्चों पर पढ़ाई का बोझ बहुत कुछ हद तक कम हो गया है। दरअसल बस्ते के बढ़ते बोझ और राष्ट्रीय शिक्षा नीति–2020 के ’लर्न विन फन’ फार्मूला के वजह से इस शैक्षिक सत्र में बेसिक स्तर के छात्रों को अतिरिक्त पढ़ाई के बोझ से राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। जल्द ही शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत इसे लेकर सरकारी और निजी बोर्ड के साथ बैठक आयोजित करेंगे। बैठक में सभी बोर्ड के साथ पढ़ाई के बोझ को कम करने पर सहमति बनाई जाएगी। इस बोझ को कम करने के लिए पाठ्यक्रम, विषय और होमवर्क को लेकर मानक तय किए जाएंगे।

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हालांकि, यह मानक राज्य में वर्ष 2019 में तय किए जा चुके थे। लेकिन कोरोना महामारी के चलते यह आदेश निरस्त हो गए। यह आदेश सरकारी, अशासकीय, सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के सभी स्कूलों पर लागू किया जाना था। प्राइवेट स्कूलों में छात्रों पर पढ़ाई का बोझ सरकारी स्कूलों की तुलना में कुछ ज्यादा है। जहां सरकारी स्तर पर पहली से पांचवी कक्षा तक के लिए अधिकतम 4 किताबें हैं, वहीं प्राइवेट स्कूलों में इन किताबों की संख्या 7 से 8 तक हो जाती है। मद्रास हाई कोर्ट ने वर्ष 2018 में एम. पुरुषोत्तम बनाम यूनियन ऑफ इंडिया बनाम मामले में पढ़ाई का बोझ कम करने के निर्देश दिए थे।

पढ़ाई का बोझ कम करने के मानक
पाठ्यक्रम और विषय: कक्षा एक और दो में भाषा और गणित पढ़ाया जाएगा। कक्षा तीन से पांच में भाषा, गणित और पर्यावरण विज्ञान विषय की ही पढ़ाई होगी। इनके अलावा कोई विषय नहीं पढ़ाया जाएगा।
होमवर्क: कक्षा एक से दो तक के छात्रों को कोई होमवर्क नहीं दिया जाएगा। कक्षा तीन से केवल दो घंटे का होमवर्क प्रति सप्ताह दिया जा सकता है। साथ ही छात्रों का अतिरिक्त होमवर्क नहीं दिया जा सकता।

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साथ ही आपको बताते चले कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति–2020 के तहत प्राइमरी से इंटरमीडिएट तक शिक्षा को 5±3+3+4 वर्ष में बांटा गया है। पहले पांच में तीन साल तक बच्चा प्रीप्राइमरी कक्षाओं में रहेगा और बाकी के दो साल पहली और दूसरी कक्षा में। इसमें खेल–खोज और अन्य गतिविधियां आधारित शिक्षा को बढ़ावा दिया जाएगा। साथ ही हल्के-फुल्के पाठ्यक्रम आधारित शिक्षण को भी इन में सम्मिलित किया जाएगा।

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