चले हैं दूर तक तन्हा, कोई आवाज़ तो दे दे..
जो मेरे गम समझ सके, वो हमदम वो हमराज़ तो दे दे…..
कि थक जाऊं कभी ज़िन्दगी की, उलझनों से मैं …
और ये दिल अजीब कशमकश में हो …
आये कोई करीब, और अपनेपन का अहसास तो दे दे…
यूँ ही जिये जा रहे हैं, बेमतलब से बेमक़सद से हम….
कि आये कोई जो हमे अपना कहे….
और ज़िन्दगी जीने का मक़सद – ऐ – खास तो दे !!
चंद्रा पांडेय (शिक्षका)
अपने मोबाइल पर ताज़ा अपडेट पाने के लिए -
👉 व्हाट्सएप ग्रुप को ज्वाइन करें
👉 यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें
हमारे इस नंबर 7017926515 को अपने व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ें
Subscribe
2 Comments