तीन महीने पहले ही 17 फरवरी की सुबह साढ़े दस बजे की बात है रोज की तरह खबरों की शुरुआत करने एक चक्कर कोतवाली जाना यह हमारे लिए आम बात है उस दिन हम जैसे ही कोतवाली पहुंचे तो अमर उजाला के सीनियर पत्रकार राजीव शुक्ला और उनके साथ दो तीन पहाड़ के पत्रकार कोतवाली में पहुंच कर आक्रोश व्यक्त कर रहे थे। हमें भी मामला पता चला कि बेरीनाग के सीनियर रिपोर्टर सुधीर राठौर के साथ पुलिस के किसी दरोगा द्वारा बदसलूकी की गई थी जब मामला हमने भी सुना तो सभी पत्रकार आक्रोशित हुए पुलिस के खिलाफ धरना प्रदर्शन शुरू किया गया पत्रकार कोतवाली में जमीन में बैठकर धरना दे रहे थे तभी यह खबर दानिश खान जी के पास पहुंची उस दौरान उनकी तबीयत खराब थी लेकिन जैसे ही उन्हें पता चला कि किसी पत्रकार के साथ अभद्रता का मामला है तो वह बीमारी में भी कोतवाली पहुंच गए और पत्रकारों के साथ जमीन में बैठकर तब तक नारेबाजी करते रहे जब तक पुलिस ने दरोगा को सस्पेंड नहीं कर दिया, दानिश खान श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के अध्यक्ष तो थे लेकिन वह पहले पत्रकार और अच्छे इंसान थे। पत्रकार के साथ होने वाली किसी भी घटना में वह कभी यह नहीं पूछते थे कि कोई भी पत्रकार किस संगठन से है वह पूरे मनोयोग से मदद करने पहुंच जाते थे और यहां भी वो पत्रकार के साथ अभद्रता की बात सुनकर सीधे धरना स्थल पर पहुंच गए।

यह कोई पहली बार की घटना नहीं थी इससे पहले भी हमने पत्रकारिता के अपने दौर में दानिश खान जी को पत्रकारों के लिए लड़ते देखा है। खासकर हल्द्वानी में जबसे दानिश खान जी को उत्तराखंड श्रमजीवी पत्रकार यूनियन का जिला अध्यक्ष बनाया गया तब से वह लगातार पत्रकारों के हितों के लिए कार्य करते रहे हर सुख-दुख के मौके पर शरीक होने वाले और हसमुख मिजाज दानिश खान ऐसे एकदम चले जाएंगे किसी ने सोचा नहीं था। देर रात हार्ट अटैक से उनके निधन की सूचना मुझे सुबह उठते हैं सोशल मीडिया के माध्यम से लगी एकाएक विश्वास नहीं हुआ क्योंकि अभी 2 दिन पहले ही उनसे बात हुई थी, ऐसे हमारे सुख दुख के साथी स्वर्गीय दानिश खान जी को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि।

उधर स्वर्गीय दानिश खान के निधन पर जहां पूरा पत्रकार समाज स्तब्ध है तो वही मुख्यमंत्री, राज्यपाल, सांसद और नेता प्रतिपक्ष सहित कई गणमान्य लोगों ने गहरा दुख व्यक्त किया है। उधर हल्द्वानी मीडिया सेंटर में उप निदेशक सूचना योगेश मिश्रा और मुख्यमंत्री के जनसंपर्क अधिकारी विजय बिष्ट सहित पत्रकारों ने शोक सभा का आयोजन कर स्वर्गीय दानिश खान को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

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6 thoughts on “स्मृति शेष- पत्रकारों की मदद को हमेशा आगे रहते थे दानिश खान”
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श्रद्धांजलि..अचानक क्या हुवा ?
श्रद्धांजलि..
जो भी लिखूं कम है।इतनी सादगी और पत्रकारिता के लिए अपनी आखिरी सांस तक लड़ने वाले खुश मिज़ाज़ व्यतित्व के धनी।अल्लाह आपको जन्नत में आला से आला मुकाम अता करे।
BILKUL
JI
Aap hamesha yaad aaoge..Zada to nahi aapse mulaqat kam hi hui lekin jitni bhi hui behad yaad aayengi…Mujhe bilkul pariwar ka sadasy maana or hamesha aapke khush mizaz rahne ki ada or positivity allah sabko de…Aap jhan bhi rahe yuhin khush rahe..Allah aapko jannat naseeb kare or apki aage ki raah aasaan kre…ameen