हल्द्वानी- केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा उत्तराखंड में चुनाव की तिथियों का ऐलान करने के बाद ही राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई है। पिछले 5 सालों से विपक्ष में बैठी कोंग्रेस सत्ता को पाने के लिए आतुर है लेकिन जनता के चुनाव से पहले पार्टी को टिकटों का चुनाव करना है। सही टिकट बितरण, क्रिकेट मैच के टॉस की तरह काम करेगा, लिहाजा कुमाऊं की सबसे वीआईपी सीट और दिवंगत नेता इंदिरा का गढ़ कहे जाने वाले हल्द्वानी विधानसभा में किसे टिकट मिलेगा यह अभी भविष्य के गर्भ में है। लेकिन टिकट के लिए पूरी ताकत दावेदारों ने झोंक रखी है। माना जा रहा है कि मकर संक्रांति के बाद कांग्रेस अपनी पहली लिस्ट जारी कर सकती है। लिहाजा दावेदारों के समर्थकों को कांग्रेस के लिए चेहरे का इंतजार है…
कुमाऊं की आर्थिक राजधानी के साथ-साथ और राजनीतिक राजधानी के नाम से मशहूर हल्द्वानी विधानसभा कुमाऊं की 29 विधानसभाओं में सबसे वीवीआईपी मानी जाती है। इस वीआईपी सीट में राज्य बनने के बाद ज्यादातर कांग्रेस का ही दबदबा रहा है। हल्द्वानी विधानसभा को अगर स्वर्गीय इंदिरा ह्रदयेश का गढ़ कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। लेकिन इस बार हालात बिल्कुल अलग है। इंदिरा ह्रदयेश के चले जाने के बाद हल्द्वानी विधानसभा सीट में दावेदारों की लंबी फौज खड़ी हुई है और हर कोई टिकट को अपने पाले में करने के लिए दिल्ली से देहरादून तक लॉबिंग में जुटा हुआ है। सवाल अब भी वही है इंदिरा का राजनीतिक उत्तराधिकारी कौन होगा? इसके साथ ही सवाल यह भी है कि क्या कांग्रेस इंदिरा के जाने के बाद यह सीट जीत पाएगी या नहीं??
पिछले चुनाव में नजर डालें तो 2017 में 139644 मतदाता वाले हल्द्वानी विधानसभा में 93527 यानी 67 फ़ीसदी मतदान हुआ था 15 फरवरी को वोटिंग और 11 मार्च को मतगणना हुई थी। जिसमे कांग्रेस के प्रत्याशी इंदिरा हृदयेश को 43786 वोट पड़े थे जबकि भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी जोगेंद्र पाल सिंह रौतेला को 37229 वोट पड़े थे। वही समाजवादी पार्टी के शोएब अहमद को 10337 वोट मिले, जबकि शकील अहमद की बहुजन समाज पार्टी 1324 बोर्ड के साथ सिमट गई। तथा अन्य दावेदारों को भी 3 अंकों में वोट देकर मतदाताओं ने सिमटा दिया। और 6557 वोटों से इंदिरा हृदयेश यह सीट जीत गई। लेकिन इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हल्द्वानी विधानसभा में विशाल जनसभा को संबोधित करना और 2025 करोड़ की घोषणा करना कांग्रेस के सामने कितनी मुश्किलें खड़ा करता है यह 10 मार्च को पता चलेगा फिलहाल टिकट की जंग ही कांग्रेस में सब कुछ तय करेगी।
दावेदारों की बात करें तो हल्द्वानी विधानसभा सीट में एआईसीसी के सदस्य कांग्रेस पब्लिसिटी कमेटी के चेयरमैन पूर्व मंडी अध्यक्ष और दिवंगत नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के पुत्र सुमित हृदयेश प्रबल दावेदार हैं। इंदिरा जी के चले जाने के बाद कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने हल्द्वानी से सुमित को चुनाव लड़ाने की पहले ही पैरवी कर डाली थी। सुमित के अलावा लंबे समय से कांग्रेस में विभिन्न दायित्व को संभाल चुके राज्य आंदोलनकारी वह पूर्व दर्जा राज्यमंत्री ललित जोशी भी प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। इसके अलावा इंदिरा के चले जाने के बाद अपने आवास में मीडिया सेंटर स्थापित कर कांग्रेस के विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करने वाले और कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता दीपक बलुटिया भी टिकट की रेस में खड़े हैं। इनके अलावा वरिष्ठ कांग्रेस नेता खजान पांडे प्रयाग दत्त भट्ट हुकम सिंह कुंवर सहित आधा दर्जन दावेदार और हैं जिन्होंने हल्द्वानी सीट पर दावेदारी जताई है। लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो टिकट की जंग केवल 3 दावेदार सुमित, ललित और दीपक के बीच में है।
हल्द्वानी सीट में अगर पिछला इतिहास देखें तो दमुआढुंगा और बनभूलपुरा ने जिस ओर झुकाव रखा सीट उसके खाते पर गई है। फिलहाल कांग्रेस के समर्थकों में उत्साह इसलिए भी है क्योंकि 5 साल सत्ता में रही भाजपा के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी उनके काम आएगी इसके अलावा हल्द्वानी शहर में भारतीय जनता पार्टी के मेयर डॉक्टर जोगेंद्र पाल सिंह रौतेला पिछले दो टर्म से महापौर है उनके खिलाफ काम करने वाली एंटी इनकंबेंसी भी कांग्रेस को फायदा पहुंचाएगी लेकिन कांग्रेस के सामने चुनौती यही है कि सही टिकट का वितरण?? और प्रधानमंत्री मोदी की रैली और घोषणाओं का इफेक्ट????
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