Diwali festival: दीपों का पर्व दिवाली जो सदियों से बुराई पर अच्छाई की जीत और अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ने का प्रतीक माना जाता है, अब सिर्फ भारत की सीमाओं तक सीमित नहीं है। आज यह पर्व पूरी दुनिया में भारतीय संस्कृति के संदेश के साथ मनाया जा रहा है….अमेरिका से लेकर लंदन तक और नेपाल से लेकर मारीशस तक दिवाली की चमक बिखर रही है।
जहाँ कभी दिवाली केवल भारतीय परिवारों के बीच मनाया जाने वाला पारंपरिक त्यौहार था वहीं आज यह ग्लोबल सेलिब्रेशन बन चुका है। आइए जानते हैं उन प्रमुख देशों के बारे में जहां दिवाली भारतीय रंगों में रच-बस गई है और पूरे उत्साह के साथ मनाई जाती है।
भारत का पड़ोसी देश नेपाल, दिवाली को ‘तिहार’ और ‘स्वान्ति’ के नाम से जानता है। यह पर्व भी भारत की तरह पांच दिनों तक बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। नेपाल में यह पर्व धन की देवी लक्ष्मी, यमराज और कुत्तों की पूजा के साथ विविध पारंपरिक रीति-रिवाजों से भरा होता है।
श्रीलंका में दिवाली का एक खास ऐतिहासिक महत्व है। भगवान श्रीराम द्वारा रावण वध के बाद जब विभीषण को लंका का राजा बनाया गया, तब उन्होंने दीप जलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव मनाने का आदेश दिया। तब से लेकर आज तक श्रीलंका में अमावस्या की रात दीप जलाकर दिवाली मनाई जाती है।
दिवाली के दिन सिंगापुर में सरकारी अवकाश घोषित होता है। यहां न केवल हिंदू समुदाय…बल्कि अन्य धर्मों के लोग भी सांस्कृतिक कार्यक्रमों और रंग-बिरंगे दीपों के साथ इस पर्व को मनाते हैं। लिटिल इंडिया क्षेत्र खासतौर पर रोशनी से नहाया होता है।
कनाडा में बड़ी संख्या में बसे भारतीय प्रवासी हर साल दिवाली को पारंपरिक तरीके से मनाते हैं। कई शहरों में दीपावली मेलों, फूड फेस्टिवल्स और फायरवर्क शो का आयोजन होता है। कनाडा में दिवाली केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक महोत्सव बन गई है।
यहां दिवाली को ‘Hari Diwali’ के नाम से जाना जाता है। मलेशिया में तमिल हिंदुओं की बड़ी आबादी होने के कारण इसे खास धार्मिक भावनाओं के साथ मनाया जाता है। मंदिरों में पूजा, घरों की सजावट और पारंपरिक व्यंजन इस पर्व को बेहद खास बनाते हैं।
कैरेबियाई देश त्रिनिडाड और टोबैगो में दिवाली एक राष्ट्रीय अवकाश है। यहां के लोगों में भारतीय संस्कृति आज भी जीवित है। दिलचस्प बात यह है कि यहां हर धर्म के लोग मिलकर दीपावली का पर्व मनाते हैं…जो सांप्रदायिक सौहार्द का सुंदर उदाहरण है।
मारीशस में लगभग 50% जनसंख्या हिंदू है…इसलिए दिवाली यहां सबसे बड़े और प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दिन यहां भी राष्ट्रीय अवकाश होता है। लोग घरों को दीपों से सजाते हैं…मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं और सामूहिक पूजा करते हैं।
आज की तारीख़ में दिवाली केवल धार्मिक त्योहार नहीं रह गया…बल्कि यह दुनिया के लिए भारतीय संस्कृति की रोशनी बन चुका है। चाहे वो ओवल ऑफिस में दीयों की सजावट हो या टेम्स नदी के किनारे आतिशबाजी, दिवाली का उत्सव अब सीमाओं से परे जाकर मानवता के उत्सव में बदल चुका है।
अपने मोबाइल पर ताज़ा अपडेट पाने के लिए -
👉 व्हाट्सएप ग्रुप को ज्वाइन करें
👉 यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें
हमारे इस नंबर 7017926515 को अपने व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ें



हल्द्वानी: रेलवे मामले में फैसले से पहले एक्शन मोड में पुलिस, 121 पर बड़ी कार्रवाई, 21 गिरफ्तार
उत्तराखंड : 1 दिसंबर से यह छह बड़े बदलाव जान लें, आप और आपकी जेब पर होगा सीधा असर
उत्तराखंड: किसानों ने मुख्यमंत्री धामी का किया उत्साहजनक स्वागत, “किसान पुत्र” की उपाधि से किया सम्मानित
उत्तराखंड: जन्म- और मृत्यु प्रमाण पत्रों का निर्गमन हुआ तेज़, जिलाधिकारी ने दिए सख्त निर्देश
उत्तराखंड सरकार का बड़ा फैसला: देहरादून और नैनीताल के राजभवन का नाम अब “लोक भवन”
उत्तराखंड: रिटायर्ड एयरफोर्स कर्मी की हत्या का पुलिस ने किया खुलासा, बेटा निकला हत्यारा
उत्तराखंड: प्रदेश की 40 हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय का प्रस्ताव तैयार
उत्तराखंड: हावड़ा एक्सप्रेस से शिशु हाथी की मौत, ट्रेन चालक हिरासत में
हल्द्वानी : सुप्रीम कोर्ट में रेलवे अतिक्रमण की सुनवाई कल
हल्द्वानी :(दुखद) 7 दिन पहले हुई थी सगाई, आज सड़क हादसे में हो गई मौत
