उत्तराखण्ड से नैपाल सीमा में प्रवेश करने वाले धारचूला झूला पुल से 105 वर्षीय दादी को बरसात में पीठ पर लादकर पेंशन लेने आती तस्वीरों ने दोनों देशों के रिश्तों में रंग भर दिए हैं । नैपाली मूल की दादी भारत में रहकर सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त हो गई और अब वो लंबे समय बाद अपनी पेंशन लेने भारत पहुंची थी । इसी तरह गोरखा रेजिमेंट में सेवा देने वाले नैपाली भी हिंदुस्तान में अपनी पेंशन लेने आए ।
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कोरोना और फिर नैपाल के साथ क्षेत्र विवाद के बाद से ही बन्द पड़े आवाजाही के पुलों को ग्रह मंत्रालय और जिला प्रशासन के आदेशों के बाद चार घंटे के लिए खोला गया । पुल खुलने के बाद नैपाल में रहने वाले दर्जनों भारतीय पेंशनरों ने भारत आकर अपनी पेंशन निकाली जबकि इतने ही भारत में फंसे नैपाली वापस अपने वतन लौटे । तस्वीरों में आप साफ देख सकते हैं कि 105 वर्षीय दादी को पेंशन प्राप्त करवाने के लिए उनका नाती भूपेंद्र बिष्ट अपनी पीठ पर रखकर लाए । इस पूरे मामले में कस्टम और सीमा सुरक्षा बल की टीमों ने अहम भूमिका निभाई ।
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इस आवाजाही पर पुलिस और गोपनीय विभाग की भी पैनी नजर रही । ए.डी.एम.के पत्र के बाद धारचूला, जौलजीवी और झूलाघाट के पुलों को 8, 9 और दस तारीख को खोला जा रहा है । इन पेंशनरों के लिए स्वास्थ्य सेवा, सोशियल डिस्टेंसिंग और सैनेटाइजेशन की व्यवस्थाओं के लिए एस.डी.एम.को निर्देश जारी किए गए ।
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