उत्तराखंड- पढ़िए एक मां की संघर्ष की कहानी, जिसने पति की मौत और घर जल जाने के बाद, अपने तीनों बेटों को अफसर बनाया..

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कहते हैं नारी शक्ति का रूप होती है और नारी के संघर्ष की कोई सीमा नहीं होती, और अगर वह ‘मां’ हो तो वह अपने परिवार के लिए सब कुछ कर गुजरने को तैयार रहती है, ऐसी ही कहानी उत्तराखंड की एक संघर्षशील महिला की है जिसने नारी शक्ति की पहचान कराई है, Story of a woman’s struggle

नारी शक्ति का स्वरूप बनी ‘कश्मीरी देवी’ का विवाह 1976 में प्रह्लाद सिंह के साथ हुआ जो तत्कालीन समय में डाक विभाग में अफसर हुआ करते थे. शादी के 8 साल बाद कश्मीरी देवी के पति प्रह्लाद सिंह का देहावसान हो गया, जब कश्मीरी देवी को उनके पति छोड़कर चले गए तब उनका बड़ा बेटा सिर्फ 6 साल का और जबकि दो छोटे बेटे 1 साल के थे, पति के मौत के बाद ससुराल वाले कश्मीरी देवी की जमीन हथियाने के फिराक में लग गए. ससुराल वालों ने न सिर्फ पति की जगह चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के रूप में डाक विभाग में मिली नौकरी में अड़चन पैदा की, बल्कि क्रूरता की हदें पार करते हुए कश्मीरी देवी का घर भी जला दिया.Story of a woman’s struggle

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अपने परिवार के साथ कश्मीरी देवी

लगभग एक दशक के संघर्ष के बाद कश्मीरी देवी को डाक विभाग में नौकरी मिली. जिसके बाद उसने अपने बेटों के जीवन सुधार के प्रयास शुरू किए. अपने बेटों के उज्जवल भविष्य के सपने को देखते हुए ‘कश्मीरी देवी’ ने न सिर्फ अपने बेटों का सेंट्रल स्कूल में दाखिला कराया, बल्कि अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए अपनी जमीन तक भेज दी, समाज में खुद को खड़ा करने और अपने बच्चों के भविष्य को संवारने का संघर्ष ‘कश्मीरी देवी’ को एक नारी शक्ति के रूप में पहचान देता है. इसीलिए आज कश्मीरी देवी का बड़ा बेटा रविराज खाद्य आपूर्ति विभाग में मार्केटिंग इंस्पेक्टर है. और दूसरा बेटा विजय भारतीय रेलवे में अफसर है. जबकि तीसरा बेटा लोकजीत सिंह देहरादून में एसपी क्राइम के पद पर तैनात है.Story of a woman’s struggle

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बाये लोकजीत, दाएं विजय

डाक विभाग से अब रिटायर होकर वर्तमान में उधम सिंह नगर जिले के काशीपुर में अपने पूरे परिवार सहित रहने वाली कश्मीरी देवी अपने जीवन में तमाम संघर्षों से गुजर रही उन महिलाओं के लिए एक उम्मीद की तरह है. जो हमेशा प्रेरणा देती है. साथ में यह संदेश देती है कि हालात चाहे कुछ भी हो न सिर्फ उनका सामना करना चाहिए, बल्कि जीवन के संघर्ष में निरंतर आगे बढ़ कर कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य बनाकर आगे चलना चाहिए. Uttarakhand Story of a woman’s struggle

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