उत्तराखंड- जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा क्षेत्र में पेट्रोलिंग के दौरान उत्तराखंड के नैनीताल जिले का एक और लाल शहीद हो गया है। मूल रूप से ओखलकांडा ब्लॉक के रहने वाले सूबेदार यमुना प्रसाद पनेरु देश की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए हैं, वर्तमान में यमुना प्रसाद का परिवार हल्द्वानी के पास अर्जुनपुर गांव में रहता है सिक्स कुमाऊं रेजीमेंट में सूबेदार के पद पर रहे यमुना प्रसाद पनेरु ने 2012 में एवरेस्ट फतह करते हुए तिरंगा लहराया था,
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शहीद के छोटे भाई भुवन पनेरू ने बताया कि उनके भाई 2001 में छह कुमाऊं में भर्ती हुए थे। सुबेदार यमुना पनेरू का बचपन ग्रामसभा पदमपुर मीडार के तोक गालपाधूरा में बीता। बीएससी प्रथम वर्ष करने के दौरान का चयन भारतीय सेना के लिए हो गया।भुवन पनेरू ने बताया कि वर्ष 2012 में यमुना परगांई द्वारा एवरेस्ट फतह की जानकारी भी दी। साथ ही उन्होंने नंदादेवी शिखर और छोटे कैलाश को भी छुआ था। माउंटेनिंग सिखाने के लिए वे कुछ समय दार्जिलिंग में भी रहे।
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परिवार में तीन भाइयों में मजले भाई यमुना प्रसाद पनेरु की शहादत की खबर सुनकर उनके मूल ग्रह क्षेत्र ओखलकांडा और हाल निवास क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ पड़ी। भीमताल विधायक राम सिंह कैड़ा ने शहीद के घर पहुंचकर परिवार को सांत्वना दी है शहीद यमुना प्रसाद पनेरु 38 वर्ष की उम्र में देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए, वर्तमान में हल्द्वानी के गोरापड़ाव अर्जुनपुर गाँव में रह रहे शहीद के परिवार में पत्नी एक बेटा और एक बेटी है उनके बच्चों की उम्र 7 साल और 5 साल है परिवार और क्षेत्र में दुख की लहर के साथ ही शहीद जवान पर लोगों को गर्व भी है।
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परिजनों ने बताया कि वर्ष 2013-14 में यमुना पनेरू भारतीय सेना की ओर से भूटान भी गए और वहां से आने के बाद जेसीओ का कमीशन निकालने के बाद हवलदार से सुबेदार पद पर नियुक्त हुए।सुबेदार यमुना पनेरू ने 37 वर्ष की आयु में देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। वह बेटे अपने सात साल के बेटे यश और 05 साल की बेटी साक्षी, पत्नी, मां महेश्वरी देवी, भाई चंद्र प्रकाश पनेरू भुवन और भाभी सहित भतीजे- भतीजी आदि को रोता हुआ छोड़ गये। शहीद के पिता
दयाकृष्ण पनेरू का बहुत पहले ही निधन हो चुका है। वर्तमान में शहीद का परिवार हल्द्वानी के अर्जुनपुर गोरापड़ाव में रहता है।
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