वैज्ञानिक शोध के लिए उत्तराखंड हमेशा मुफीद रहा है क्योंकि यहां विभिन्न प्रकार की प्रजातियां वह जैव विविधता प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है राज्य के 70 फ़ीसदी जंगल हिमालय पहाड़ और बुग्याल जैसे प्राकृतिक स्रोत बेइंतेहा है लिहाजा वैज्ञानिकों और शोधार्थियों के लिए उत्तराखंड किसी अविष्कारक धरती से कम नहीं यही वजह है कि यहां देश की आठवीं फल मक्खी प्रजाति को वैज्ञानिकों ने खोज निकाला है।
उत्तराखंड विश्व भर में अपनी जैव विविधताओं के लिए जाना जाता है. प्रदेश में कई ऐसे जीव-जंतु हैं, जिनकी खोज होना अभी भी बाकी है. समय समय पर वैज्ञानिकों द्वारा कई तरह के जीव जंतु की खोज की जाती रही है. इसी क्रम में हेमवंती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के जंतु विज्ञान के वैज्ञानिक आरएस फर्त्याल और उनके शोधार्थी डॉ. प्रदीप चंद ने अनोखी फल मक्खी की खोज की है
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इस नई प्रजाति की मक्खी को देखने के लिए माइक्रोस्कोप की आवश्यकता पड़ती है.चमोली जिले के नारायणबगड़ के समीप सिमली गांव में शोध के दौरान झाड़ियों की पत्तियों में ये नई प्रजाति की फल मक्खी मिली है. ये देश की आठवीं नई फल मक्खी की प्रजाति है. जंतु वैज्ञानिकों ने जापान के होक्कायडो यूनिवर्सिटी के प्रसिद्ध जंतु वैज्ञानिक प्रोफेसर एच वाटेवी के नाम पर इस नई प्रजाति की फल मक्खी को फोर्टिका वोटेवि नाम दिया है.प्रोफेसर आरएस फर्त्याल ने बताया कि अभी तक देश में फल मक्खियों की सात प्रजातियों को ही खोजा जा सका है.
इस खोज से अन्य फल मक्खियों के मिलने की प्रदेश में संभावनाएं बढ़ गई है. फर्त्याल ने बताया कि क्रोमोसोम जेनेटिक्स के शोध में भी फल मक्खियों की सरंचना का उपयोग वैज्ञानिकों द्वारा किया जाता है. इससे फल और फूलों पर लगने वाली मक्खियों के बीच के अंतर पर होने वाले शोध कार्यों में भी दिशा मिलती है
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