रंग फीके पड़ने लगे हैं मेरे गांव में तब से,
शहरों में उड़ने लगी तितलियां जब से ,
बंजर खेत फूलों की कलियां आज कुछ सवाल करती हैं,
कि लौट तो आओगे ना तुम कि कुछ खता हो गई हमसे!
कितना अजीब लगता है ना जब हम उन बंद दरवाजों को देखते हैं ! जहां कभी किलकारियां गुजा करती थी आज बेरोजगारी ने उसे पलायन में तब्दील कर दिया है !प्रत्येक पर्वतीय राज्यों का आज यही हाल हुआ पड़ा है !लोग बेरोजगारी की वजह से पलायन करने पर मजबूर हो गए अगर आज की बात करें तो जो कभी हमारा घर हुआ करता था !आज हम वहां मेहमान बनकर जा रहे हैं जहां हमने अपने बच्चों के भविष्य को पलायन करके बचाया है! तो वहां कहीं ना कहीं हमने अपने घरों को उजाड़ दिया है !यह सोचने की बात है कि एक पलायन नाम का शब्द हमारी जिंदगी में आया ! जिसने हमसे हमारा बचपन छीन लिया! आज से कुछ साल पहले हम पलायन नाम के शब्द से अवगत भी नहीं थे ! पलायन का कारण बेरोजगारी व उच्च शिक्षा है ! पहाड़ों में इन दोनों की पूर्ति कर पाना मुश्किल है ! और जिसका परिणाम यह होता है ! कि लोगों को अपना घर छोड़कर बाहर शहरों की तरफ निकलना पड़ता है ! और हम इस बात से भी अवगत हैं !
अगर पलायन को नहीं रोका गया तो 1 दिन ऐसा आएगा जब पूरा पहाड़ खाली हो जाएगा! और दिखेगी तो केवल घास फूस और बंद दरवाजे ! जिसका जीता जागता उदाहरण हम आज देख सकते हैं ! कि किस तरीके से हमारे पहाड़ खाली हो रहे हैं ! यह हमारा सौभाग्य है ! कि हमने इतने खूबसूरत राज्य में जन्म लिया है ! जिसकी बेइंतहा खूबसूरती को हम जाहिर भी नहीं कर सकते ! हम जानते हैं ! कि कोई पहाड़ से पलायन नहीं करना चाहता है ! पर लोगों की मजबूरी है! एक अच्छे भविष्य की जिसकी वजह से लोग अपने घरों से दूर चले जाते है!अब तो ऐसा लगता है! जैसे कि पलायन हमारे लिए एक अभिशाप है !जो धीरे-धीरे करके पूरे पहाड़ को उजाड़ने मैं लगा हुआ है !
यह तो थी पलायन से जुड़ी कुछ बातें जो कि हमारे समाज की सच्चाई है
प से पहाड़ है, प से पलायन है अंतर बस इतना है कि अंतर बहुत है
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