कहते हैं जो मुसीबत में काम आए वही सबसे बड़ा हम दर्द होता है और इस वक्त उन लोगों के लिए मुसीबत का समय है जो लोग दो वक्त की रोटी के लिए दिनभर जद्दोजहद कर शाम को अपना चूल्हा जलाते थे लेकिन लॉक डाउन lockdown की वजह से ऐसे गरीब और असहाय लोग जिनके आगे दो वक्त की रोटी का संकट खड़ा हो गया था उन लोगों की मदद के लिए आगे आए मनोज पाठक। corona wairars of uttarakhand
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लंबे समय से अपने सामाजिक जीवन में अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे मनोज पाठक ने इस विपत्ति काल में भी कालाढूंगी क्षेत्र में गरीब परिवारों की मदद का सराहनीय काम किया है, लॉक डाउन के चलते जिन परिवारों के पास खाद्यान्न संकट था मनोज पाठक ने अपने सहयोगी मित्रों के साथ मिलकर ऐसे सैकड़ों लोगों को चिन्हित किया और उनके घर जाकर उन्हें 10 किलो आटा 5 किलो चावल 2 किलो दाल मसाले तेल सहित अन्य खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने का मानवता पूर्ण कार्य किया।
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इस विपत्ति काल में जब पूरा विश्व कोरोना वायरस coronavirus से लड़ रहा है ऐसे समय में जनप्रतिनिधियों की जो सामाजिक जिम्मेदारी होती है उसका निर्वहन कर रहे मनोज पाठक ने अपने कॉलोनी वासियों के साथ मिलकर कालाढूंगी क्षेत्र के आसपास 12- 12 घंटे ड्यूटी कर रहे पुलिस जवानों और कर्मचारियों को घर से भोजन बनाकर उन्हें खिलाने का सराहनीय कार्य भी कर रहे हैं। मनोज पाठक का कहना है कि इस विपत्ति काल में जिस भी व्यक्ति से जितना सहयोग दूसरों की भलाई के लिए किया जा सकता है उन्हें करना चाहिए क्योंकि यह मानवता की सबसे बड़ी मिसाल है कि विपत्ति काल में हम सब लोगों को एकजुट होकर मानवीय मूल्यों की रक्षा करनी चाहिए।
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