बिखौती कुमाऊँ मनाए जाने वाला एक ऐसा त्यौहार जिसे गेंहू की फसल पकने और लहलाते सुनहरे खेतो के उत्साह के रूप में मनाया जाता है। जिस तरीके से लगभग पूरे देश में वैशाखी पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है उसी तरह पहाड़ के वाशिन्दों द्वारा बिखौती पर्व बहुत ही उत्साह से मनाया जाता है जिसमे मेले का आयोजन भी किया जाता है। कुमाऊँ में बिखौती Bikhoti Mela Syalde Almora के मेले काफी जगह लगते है पर अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट तहसील के विभाण्डेश्वर में लगने वाले इस पारम्परिक मेला बड़े स्तर पर लगाया जाता है जिसमे आसपड़ोस के गाँव के स्थानीय लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते है।
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बिखौती मेले को स्याल्दे बिखौती मेले (SYALDE BIKHOTI MELA) के नाम से ज्यादा जाना जाता है। स्याल्दे बिखौती का यह मेला दो भागों में बांटा गया है पहला चैत्र मास की अंतिम तिथि को मंदिर में और दूसरा वैशाख माह की पहली तिथि को द्वाराहाट बाजार में और दो पैट वैशाख को स्याल्दे का मुख्य मेला लगता है बिखौती मेले गांववासियों द्वारा खरीददारी के साथ साथ विभिन्न प्रकार के खेलों से मनोरंजन किया जाता है। साथ ही लोक गीतों के अलावा पारम्परिक लोक नृत्य छोलिया, झोड़ा, चाचरी का लुफ्त उठाया जाता है। लगभग एक हफ्ते तक चलने वाले इस मेले में परदेश में रहने वाले प्रवासी उत्तराखण्डी भी प्रतिभाग करते है। Bikhoti Mela Syalde Almora
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बिखौती पर्व में मुख्य रूप से पूरी, खीर और चावल का हलवा पकवान बनाये जाते है, वही बिखौती त्यौहार में एक पतले लोहे के डण्डे को गर्म कर शरीर के पाँच या सात जगह लगाना जिसे कुमाऊँनी बोली में ‘ताव’ कहा जाता है माना जाता है कि इससे शरीर के सभी रोग दूर होते है, बुजुर्गों द्वारा घर के बच्चो पर यह प्रक्रिया की जाती है, यह एक पारम्परिक रिवाज है। इस पर्व में गंगा स्नान भी किया जाता है, जागेश्वर व बागेश्वर अन्य धार्मिक स्थलों यानी विशेष तौर पर संगम में स्नान किया जाता है।Bikhoti Mela Syalde Almora
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इस प्राचीन परम्परा को ‘ओड़ा भेटना’ भी कहा गया है, पूर्व में यह मेला इतना विशाल हुआ करता था कि अपने अपने गांवो के लोग ओड़ा भेटने के लिए ढोल, नगाड़े निशाण से सज धज कर आया करते थे रणसिंह की हुंकार और ढोल की चोट के साथ हर्षोल्लास से ओड़ा भेठने की परम्परा अदा की जाती थी। स्याल्दे बिखौती का मेला व्यापारिक दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण माना गया है। कुमाऊँ के प्रसिद्ध लोकगायक स्व0 गोपाल बाबू गोस्वामी जी का लोकगीत “अल्खते बिखौती मेरी दुर्गा हरे गे, सार कौतिक चान मेरी कमरा पटे गे” कुमाऊँनी बोली के इन शब्दों में मानो पूरे बिखौती मेले को संजो कर रखा हो। हालांकि इस वर्ष कोरोना महामारी के चलते इस मेले को प्रशासन द्वारा अनुमति नही मिली है।Bikhoti Mela Syalde Almora
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सौजन्य से कुमाऊ दर्शन स्याल्दे बिखौती मेला 2019 के दृश्य..
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