घरेलू हो गया मैं आज़
पर पालतू नहीं …..
ख़ाली बैठा हूँ मैं आज़
पर फ़ालतू नहीं …..
घर बैठने का मक़सद ….
ग़र , सलामती अवाम की है
तो घर बैठूँगा मैं ,

जब हालत ठीक हो जाएँगे …..
अपनों से , तपाक से मिलूँगा मैं ,
पर अभी सब्र करूँगा मैं ,
अपने देश को इस महामारी के
संकट से बचाने के लिए …..
जो कुछ भी मुझसे बनेगा …वो
सब कुछ करूँगा मैं ,
आज़ घर बैठूँगा मैं ….
अपनी नैतिक ज़िम्मेदारी को निभाऊँगा मैं ….क़रोना को हराऊँगा
मैं ,
शाम को करतल ध्वनि बजा कर ,
इस शृंखला की गूँज को …..
और अधिक बल दूँगा मैं ,
आज़ जनता कर्फ़्यू को पूर्ण समर्पण
दूँगा मैं

अपने मोबाइल पर ताज़ा अपडेट पाने के लिए -
👉 व्हाट्सएप ग्रुप को ज्वाइन करें
👉 यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें
हमारे इस नंबर 7017926515 को अपने व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ें
3 thoughts on “घरेलू हो गया मैं आज़, पर पालतू नहीं ….. ख़ाली बैठा हूँ मैं आज़, पर फ़ालतू नहीं …..”
Comments are closed.
Magnum opus?? suitable to current situation prevailing India
JI