देहरादून- मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने नगर निगम कोटद्वार का नाम परिवर्तित कर कण्व ऋषि के नाम पर कण्व नगरी कोटद्वार रखने पर स्वीकृति प्रदान की है। अब नगर निगम कोटद्वार कण्व नगरी कोटद्वार के नाम से जाना जायेगा। 2018 में कोटद्वार नगर निगम बोर्ड ने कण्व नगरी कोटद्वार के नाम पर मुहर लगा दी। पौड़ी जिले की तहसील कोटद्वार 1952 में नगर पालिका बनी थी। लगभग 1890 के आस पास कोटद्वार में बसावट शुरू हुई थी।
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खोह नदी के किनारे बसे होने के कारण इसे पहले खोहद्वारा भो कहा जाता था। कुछ साल पहले कोटद्वार नगर पालिका को भाजपा ने नगर निगम में तब्दील कर दिया था।भाबर का एरिया भी नगर निगम में शामिल किया गया था। कोटद्वार से लगभग 12 किमी दूर कण्वाश्रम स्थित है। मालिनी नदी के किनारे बसे इसी जगह पर कण्व ऋषि का आश्रम था। यही पर राजा दुष्यंत व शकुंतला के बीच प्रेम परवान चढ़ा था। इनके पुत्र भरत के नाम पर ही भारतवर्ष नाम पड़ने की भी बात कही जाती है। विद्वानों का मानना है कि कालिदास ने भी अपनी रचनाओं में कण्वाश्रम का वर्णन किया है। मौजूदा समय में मंत्री हरक सिंह रावत कोटद्वार विधानसभा का प्रतिनिधित्व कर हैं। जबकि कोटद्वार नगर निगम की मेयर श्रीमती हेमलता नेगी हैं।
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