शत्रु जब अदृश्य हो,
न तुम्हारे पास कोई शस्त्र हो।
जीतना ही है तुम्हे इस युद्ध को,
इक आश में तुम जी रहे हो।
तब उठाना जलते दीपक को,
मिटा देना मन के भय को।
हराना तो पहले इस भय को है,
फिर जीतना इस जंग को है।
दिखा देंगे इस दुनिया को,
एकता में क्या ताक़त है।
कई दौर देखे हैं हमने,
ये कौन सी नयी आफ़त है ।
हरेंद्र रावत
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