उत्तराखंड: कोरोनाकाल में उत्तराखंड पुलिस ने कई मिसाल पेश की है। शहर से पहाड़ तक पुलिस 24 घंटे मदद को तैयार है। कई गरीबों के घर राशन, बीमार लोगों को दवाई और लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर मानवता की मिसाल पेश की है। उत्तराखंड पुलिस के जवान 24 घंटे तन, मन और धन से अपने कर्म में जुटे है। ताजा मामला बागेश्वर के कांडा का है जहंा पुलिस की कार्यशैली आपका दिल जीत लेंगी। पुलिस की कार्य शैली को एक सलाम तो बनता ही है। आइये जानते है कांडा में पुलिस ने कैसे की आमा की मदद…
दरअसल कांडा थानाध्यक्ष महेन्द्र प्रसाद ग्राम सिलाटी से थाने को जा रहे थे। इस दौरान उनकी नजर सडक़ किनारे एक बुजुर्ग महिला पर पड़ी जो हाथ में झोला और लाठी लिए खड़ी थी। थानाध्यक्ष महेन्द्र प्रसाद ने अपनी गाड़ी रोककर बुजुर्ग महिला से पूछा आमा यहां क्यों खड़े हो। आमा बोली उन्हें अपनी बेटी के यहां जाना है लेकिन कब से गाड़ी का इंतेजार कर रही हूं गाड़ी नहीं मिल रही है। अब पैदल ही निकलती हूं। ऐसे में थानाध्यक्ष ने आमा से कहा आमा जब तक हम हैं आपको पैदल जाने की जरूरत नहीं है।
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आमा उम्मीद भरी निगाहों से थानाध्यक्ष की ओर देखने लगी। थानाध्यक्ष महेन्द्र प्रसाद ने कहा आओ आमा गाड़ी में बैठों, मैं छोडूंगा आपको आपकी बेटी के घर। गाड़ी में बैठते ही आमा की चेहरे पर मुस्कान दिखी वह रास्ते भर थानाध्यक्ष को आर्शीवाद देती रही ईजा त्यार भल है जो… तुम मे लीजि इतू परेशान है ग्या। इसके बाद थानाध्यक्ष ने आमा को उनकी बेटी के घर वजीना सकुशल छोड़ा। आमा जाते-जाते उनको खूब दुआएं और आर्शीवाद देते गई। आमा का आर्शीवाद पाकर थानाध्यक्ष भी खुश हुए। वहीं आमा अपनी बेटी के घर पहुंचकर खुश नजर आयी।
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