टनकपुर- (चम्पावत) पहाड़ो में हो रही बरसात के चलते टनकपुर की शारदा नदी अपने उफान पर बह रही है।लेकिन इसके बावजूद बच्चों की टोली इस शारदा नदी में छलांग लगा मौत को दावत देने का काम कर रहे है। बच्चें जंहा नदी में छलांग लगा जलौनी लकड़ी निकाल रहे है।लेकिन इसके बावजूद बच्चो के उफनाई शारदा नदी में छलांग लगाने पर उनको रोकने वाला कोई नही है।प्रशासन की इस ओर उदासीनता का खामियाजा कभी भी बड़े हादसे को दावत दी सकता है।
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इसे पेट की आग कहे या घर का चूल्हा जलाने का जुगाड़ लेकिन बरसात में जैसे ही शारदा नदी अपने उफान पर आती है टनकपुर क्षेत्र के दर्जनों बच्चे वह महिलाएं शारदा नदी के किनारे नदी से लकड़ी निकालने के काम में जुड़ जाती हैं।बरसात के चलते अपने रौद्र रूप में बह रही शारदा नदी में छोटे छोटे बच्चे नदी में बहती जलौनी लकड़ियों को देख कर ऐसे छलांग लगाते है।जैसे उन्हें नदी की भयावहता से कोई मतलब नही।लगभग डेढ़ लाख क्यूसेक से अधिक नदी में बहता पानी भी छोटे छोटे बच्चो को अपनी लहरों के रौद्र रूप से डराने में नाकाम दिख रहा है।
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बच्चें सिर्फ अर्जुन की आँख की तरह नदी में बहती उस जलौनी लकड़ी पर अपनी निगाह बनाये रखते है।जिसे नदी में आता देख वह नदी में छलांग लगा लकड़ी को नदी से बाहर निकालने में जुट जाते है।लेकिन बच्चो का बरसात में उफान पर बह रही शारदा नदी से यह खिलवाड़ कभी भी बच्चो की जान पर भारी पड़ सकता है।लेकिन स्थानीय प्रशासन इस मामले में शायद बड़े हादसे के इंतजार में बैठा हुआ है।तभी तो सुबह से शाम तक शारदा घाट टनकपुर में नदी के मुहाने पर खड़े होकर नदी से लकड़ियां निकालते इन बच्चो को कोई भी रोकने की जहमत नही उठा रहा है। वही नदी से अपने घर के खर्चे को चलाने के खातिर नदी की लहरों से लकड़ियां बटोरते इन बच्चो की नदी में छलांग लगाने का क्रम बदस्तूर जारी है।
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