उत्तराखंड, उत्तराखंड में भी वोटर लिस्ट SIR की तैयारी, मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में अफरातफरी, रजनीतिक कार्यकर्ताओं में भी हलचल
देहरादून: देवभूमि उत्तराखंड में आगामी फरवरी माह से मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान शुरू होने वाला है।अभियान अभी यूपी में शुरू हो गया है और इसकी दहशत उत्तराखंड में भी दिखाई देने लगी है।
सूत्रों की माने तो एस आई आर की सबसे ज्यादा उत्तराखंड के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में है। ऐसा अंदेशा कईं सालों से जताया जाता रहा है उत्तराखंड की वोटर लिस्ट में हजारों की संख्या में ऐसे वोटर है जिनके नाम यूपी बिहार बंगाल झारखंड आदि राज्यों में भी है
जानकारी के मुताबिक इन दिनों यूपी और अन्य राज्यों में ब्याही गई महिलाओं से वहां मतदाता सूची में नाम दर्ज होने पर पूछा जा रहा है कि उनका नाम उत्तराखंड की मतदाता
सूची से कटवाया है कि नहीं ? यदि नहीं तो कटवाने का फॉर्म भरवा कर के कर आएं। ऐसा ही 2003 के बाद आए मतदाताओं को ये प्रमाण देना होगा कि उनके नाम पूर्व रिहायशी राज्य अथवा शहर वार्ड की सूची से कट चुका है।
उत्तराखंड में डेमोग्राफी चेंज की समस्या पर धामी सरकार के द्वारा लगातार प्रहार किए जा रहे है। स्थाई निवास प्रमाण पत्रों के फर्जीवाड़े सामने आए है। यूपी बिहार और अन्य राज्यों से आए लोग सरकारी भूमि पर अवैध रूप से कब्जे कर अनधिकृत रूप से बसे हुए है। इन लोगों में एसआईआर को लेकर सबसे ज्यादा दहशत है।
निर्वाचन कार्यालय में एसआईआर को लेकर सबसे ज्यादा पूछताछ मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों से आ रही है। खासतौर पर वकील समुदाय और मीडिया कर्मी इसे लेकर वृहद जानकारी चाहते है।खबर है कि मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में वकीलों के समूह मतदाता सूचियों में जानकारियां दर्ज करने के लिए लगाए जा रहे है और इनके द्वारा बकायदा प्रशिक्षण का काम भी शुरू हो चुका है।
इस बारे में सोशल मीडिया पर वीडियो के माध्यम से भी मुस्लिम संगठन अपने अभियान को शुरू कर चुके है।
भारतीय निर्वाचन आयोग के निर्देशों के तहत उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का काम शुरू करने जा रहा है। इस बारे में आयोग ने राजनीतिक दलों को अपने बूथ प्रबंधन पर कार्य करने की अपेक्षा जताई है।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ बी. वी. पुरुषोत्तम ने सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को ये आग्रह किया है कि वे मतदाता पुनर्निरीक्षण को गंभीरता से ले ,उन्होंने 11733 पोलिंग बूथों पर एक एक प्रतिनिधि (बीएलओ,) नियुक्त कर उन्हें मतदाता सूचियों में दर्ज फालतू नाम हटाने और यदि कोई अन्य आपत्ति है तो उसे दर्ज किए जाने के लिए दिशा निर्देश दिए जा रहे है।
राज्य की 70 विधानसभाओं में मतदाताओं को अब अपने नाम स्वयं मतदाता सूची में खोजने होंगे।यदि नाम नहीं है तो दर्ज कराने के लिए जरूरी दस्तावेज देने होंगे । यदि उनका नाम देश में कहीं भी और दर्ज है तो उसे हटवाना होगा।
उत्तराखंड में 2003 की मतदाता सूची के आधार पर SIR लागू किया जा रहा है।भारतीय निर्वाचन आयोग के अनुसार उसे ये अधिकार हैं कि वो अनुच्छेद 324 , 1950 की धारा 21के तहत मतदाता सूची का पुनर्निरीक्षण कराए।
देश भर में उक्त प्रक्रिया अपननेब्स लगभग दस करोड़ मतदाताओं के बाहर हो जाने की उम्मीद है इससे देश में चुनाव का मत प्रतिशत भी बढ़ेगा।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में बहुत से मतदाता ऐसे है जिनके दो या उससे भी ज्यादा स्थानों पर पर नाम दर्ज रहने के मामले सामने आए थे, कोटद्वार विधानसभा क्षेत्र में ऐसे नाम पकड़ में आए थे।देश के एक ही बूथ की मतदाता सूची पर नाम हो ऐसे व्यवस्था निर्वाचन आयोग सुनिश्चित करने की दिशा में प्रयासरत है।
उल्लेखनीय है उत्तराखंड के कई क्षेत्र ऐसे है जोकि यूपी से लगे हुए है और यहां मतदाता सूची पर पूर्व में संदेह व्यक्त किए जाते रहे है कि कुछ ऐसे मतदाता है जिनके नाम उत्तराखंड के साथ साथ अन्य राज्यों में भी है। एसएआर होने से ऐसे नामों को काटा जा सकेगा।
कांग्रेस एसएआर के विरोध में रही है क्योंकि पार्टी को लगता है कि एनडीए सरकार के इशारे पर निर्वाचन आयोग एसआईआर लागू कर रहा है, इस विषय को लेकर चुनाव आयोग और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बीच वाक युद्ध होता रहा है।
कांग्रेस को लगता है कि बीजेपी एसआईआर के बहाने उसके मुस्लिम वोट बैंक पर डाका डाल रही है। जबकि बीजेपी का कहना है कि घुसपैठियों को मतदाता सूची में स्थान नहीं दिया जा सकता। उत्तराखंड में कांग्रेस इसी तरह का एसआईआर का विरोध करने का मन बना चुकी है। जबकि बीजेपी ने एसआईआर का स्वागत किया है।
निर्वाचन आयोग द्वारा निर्देशित मुख्य बिंदु
उत्तराखंड में एसआईआर (Special Intensive Revision) विशेष गहन पुनरीक्षण* प्रक्रिया प्रारंभ फरवरी से होने जा रही है, जिसमें सभी मतदाताओं को अपना परिगणना फॉर्म भरकर बीएलओ को जमा करवाना होगा। फॉर्म जमा नहीं करवाने पर आपका नाम मतदाता सूची में नहीं आएगा।
उद्देश्य
- मृत व्यक्तियों के नाम हटाना।
- स्थायी रूप से निवास बदलने वालों का नाम हटाना।
- किसी मतदाता का दो स्थानों पर पंजीकरण हो उसे निरस्त करना।
- फर्जी मतदाताओं का नाम हटाना।
- शुद्ध, स्वच्छ व पारदर्शी मतदाता सूचियों का निर्माण करना।
पुनः पंजीकरण प्रक्रिया
अपना फॉर्म भरने से पूर्व आप अपने 2 नवीनतम रंगीन पासपोर्ट साइज फ़ोटो जरूर खिंचवा लें, जिसका बैकग्राउंड सफेद होना चाहिए।
आप सभी को BLO द्वारा परिगणना फॉर्म उपलब्ध करवाया जाएगा, जिसे निश्चित समय में भरकर BLO को जमा करवाना होगा।
फॉर्म के साथ आपको 11 दस्तावेजों की सूची में से कोई भी दस्तावेज अनिवार्य रूप से संलग्न करना होगा।
दस्तावेजों की सूची
- केंद्र सरकार/ राज्य सरकार / PSU के नियमित कर्मचारियों को जारी पहचान पत्र या पेंशन कार्ड
- भारत में 01/07/1987 से पूर्व सरकार/बैंक/LIC/डाकघर/PSU या स्थानीय प्राधिकारी द्वारा जारी प्रमाण पत्र/ दस्तावेज/ पहचान पत्र
- जन्म प्रमाण पत्र
- पासपोर्ट
- मूल निवास प्रमाण पत्र
- 10 वीं बोर्ड की अंक तालिका मय प्रमाण पत्र
- वन अधिकार प्रमाण पत्र
- अन्य पिछड़ा वर्ग/ अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति या अन्य जाति प्रमाण पत्र
- राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (जहां लागू हो)
- राज्य/ स्थानीय अधिकारियों द्वारा तैयार किया गया परिवार रजिस्टर
- सरकार द्वारा जारी कोई भूमि/ गृह आवंटन प्रमाण पत्र
आप इन 11 दस्तावेजों में से अपने कम से कम कोई भी 2 दस्तावेज तैयार रखें, ताकि परिगणना फॉर्म भरने में आपको कोई परेशानी नहीं हो।
मतदाताओं के पंजीकरण की 3 श्रेणियां बनाई गई है, आप उनके अनुसार भी अपने दस्तावेज तैयार कर सकते हैं।
- यदि आपका जन्म 01/07/1987 से पूर्व हुआ है, तो आपको स्वयं का कोई भी एक दस्तावेज जमा करवाना होगा, साथ में कोई अतिरिक्त दस्तावेज है तो भी काम आएगा, लेकिन कोई एक दस्तावेज होना अनिवार्य है।
- यदि आपका जन्म 01/07/1987 से 02/12/2004 के मध्य हुआ है तो आपको एक दस्तावेज स्वयं का तथा एक दस्तावेज माता-पिता का होना अनिवार्य है। यानी कम से कम 2 दस्तावेज होने चाहिए।
- यदि आपका जन्म 02/12/2004 के बाद हुआ है तो आपके पास 3 दस्तावेज होने चाहिए। एक स्वयं का, एक माता का व एक पिता का। कम से कम तीन दस्तावेज।
SIR प्रक्रिया शुरू होने वाली है, आप अपने परिवार व आसपास के लोगों तक इसकी सूचना पहुंचाएं। उन्हें भी दस्तावेज तैयार करने के लिए प्रेरित करें, जिससे पारदर्शी मतदाता सूचियों का निर्माण हो सके।
आपका वोट आपका अधिकार है। जागरूक मतदाता बनें व परिगणना फॉर्म भरकर अपने BLO को जमा करवाएं।
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