देहरादून: आगामी 7 सितम्बर रविवार को वर्ष का दूसरा चंद्रग्रहण लगेगा। इसी दिन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से पितृ पक्ष (श्राद्ध पक्ष) भी आरंभ हो रहे हैं। इस दिन धार्मिक दृष्टि से दो महत्वपूर्ण संयोग बन रहे हैं, जिसके चलते पूरे देश में विशेष सतर्कता बरती जाएगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, यह पूर्ण चंद्रग्रहण होगा जो भारत समेत कई देशों में स्पष्ट रूप से दिखाई देगा। चंद्रग्रहण का आरंभ रात 9:57 बजे होगा और यह 1:26 बजे समाप्त होगा।
उत्तराखंड विद्वत सभा के पूर्व अध्यक्ष विजेंद्र प्रसाद ममगाईं ने बताया कि ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है। अतः रविवार दोपहर 12:57 बजे से ही सूतक शुरू हो जाएगा, जो चंद्रग्रहण समाप्ति तक यानी रात 1:26 बजे तक रहेगा। इस दौरान देवी-देवताओं की मूर्तियों को स्पर्श करना, पूजा-पाठ करना और भोजन बनाना वर्जित माना गया है।

सूतक काल के नियमों के अनुसार:
मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे
तुलसी के पत्ते तोड़ना निषिद्ध
गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की सलाह
भोजन में तुलसी पत्र डालकर ग्रहण से पहले ही भोजन करना उचित
चंद्रग्रहण के बाद स्नान कर शुद्ध होकर ही पूजा करनी चाहिए
श्राद्ध पक्ष की शुरुआत
इस बार चंद्रग्रहण के साथ ही पितृ पक्ष भी आरंभ होंगे। श्राद्ध कर्म के अंतर्गत पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान, दान और विशेष भोजन अर्पण किया जाता है।
आचार्य डॉ. सुशांत राज ने बताया कि श्राद्ध पक्ष में पितरों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता व्यक्त की जाती है। इस दौरान हर दिन अलग-अलग तिथियों पर पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है। चंद्रग्रहण और पितृ पक्ष का एक साथ आना दुर्लभ संयोग है, जो धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। श्रद्धालुओं से अपील की गई है कि इस दिन धार्मिक अनुशासन और परंपराओं का पूर्ण पालन करें, ताकि आध्यात्मिक ऊर्जा और पितृ आशीर्वाद प्राप्त हो सके।
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