हल्द्वानी- उत्तराखंड के संगीत जगत मेंं लोकगायकों के साथ ही कई लोकगायिकाओं ने भी अहम योगदान दिया हैं। उन्हीं के सपनों को सच करने में आज उत्तराखंड की कई युवा लोकगायिका लगी है। उन्हीं में से एक नाम लोकगायिका उमा बंगारी का भी है। जिन्होंने अपने सुरीली आवाज का सबको दीवाना बना दिया। जल्द ही वह उनका नाम आपको उत्तराखंड की सुर कोकिला की लिस्ट में देखने को मिलेगा। हाल ही में उनका कुमाऊंनी गीत लांचा रिलीज हुआ जो लोगों को खूब भा रहा है। रिलीज होते ही यह गीत सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो गया है।

इससे पहले लोकगायिका उमा बंगारी कई सुपरहिट गीत दे चुकी है। अब उनका लांचा गीत शादी-पार्टियों में खूब बज रहा है। खबर पहाड़ से विशेष बातचीत में लोकगायिका उमा बंगारी ने बताया कि उनका बचपन पहाड़ में बीता। 12वीं के बाद वह शहर चली गई ऐसे में उन्हें पहाड़ की बहुत याद आती थी। इन्हीं यादों में वह पहाड़ी गीतों को सुन लिया करती, पहाड़ी संगीत कानों में पडऩे के से पहाड़ के प्रति उनका प्यार हो बढ़ गया। ऐसे में उन्होंने अपने स्कूली दिन बहुत याद आते थे। बचपन में गाने की शौक ने उन्हें संगीत की ओर मोड़ा। फिर क्या था उन्होंंने राजस्थान में संगीत की क्लास जांइन की। गाना तो आता था पर सुरों के कैसे संवारा जाय, यह उन्होंने राजस्थान की संगीत एकेडमी में सीखा।

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उमा बताती है कि जब लोग हिंन्दी गाने गाते थे तो उन्होंने कुमाऊंनी गीत सुनाये। ऐसे में सभी लोगों ने उनका मनोबल बढ़ाया। बस फिर क्या था वर्ष 2019 में उन्होंने अपना पहला गीत स्वामी दूर विदेश गीत से उत्तराखंड के संगीत जगत में अपना कदम रखा। यह गीत सुपरहिट हो गया। यह गीत खासकर होटलों मेंं नौकरी करने वाले पहाड़ के युवाओं पर गाया गया। जिसमें एक पत्नी अपनी पति से होटल की नौकरी का जिक्र करती है और पति के विरह में अकेलापन महसूस करते हुए उन्हें पहाड़ आने को कहती है। यह गीत खुद उमा बंगारी ने लिखा। इस गीत अभी तक 58 व्यूज मिले है। यह गीत टिक-टॉक पर सबसे ज्यादा वायरल हो गया। इसके बाद उमा ने कभी पीछे मुडक़र नहीं देखा। आज उनके करीब 10 गीत आ चुके है। जिन्हें लोगों ने खूब पसंद किया। अब लांचा गीत ने धमाल मचा रखा है। इस गीत में संगीत दिया है असीम मंगोली ने जबकि गीत गिरीश जीना ने लिखा है।
मूल रूप अल्मोड़ा जिले के भिकियासैण तहसील के तलाई गांव निवासी उमा बंगारी इन दिनों राजस्थान में है। पहाड़ के प्रति प्यार ने उन्हें संगीत की ओर खंीचा और बचपन के शौक ने उन्हें लोकगायिका बना दिया। आज हर कोई उनकी सुरीली आवाज का दीवाना है। बेटी की सफलता पर परिवार में खुशी का माहौल है। आज उमा को पूरा परिवार सपोट करता है। दूसरे राज्य में रहकर उत्तराखंड के संगीत को उमा एक नये मुकाम पर पहुंचाने में जुटी है। आप भी सुनिये उनका लांचा गीत…

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2 thoughts on “हल्द्वानी-हाथों में चूड़ी कांचा, चमकीरो मेरो लांचा… लोकगायिका उमा के गीत ने मचाया धमाल”
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Nice
hm