गोल्ज्यू , ऐड़ी और भूमिया देवता ने भी किया पलायन

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उत्तराखण्ड में पलायन त्रासदी की तरह है, उत्तराखण्ड पलायन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक 2011 के बाद से आज तक करीब 700 से ज्यादा गांव बिल्कुल खाली हो गए हैं, लेकिन अब हम जो बात आपको बताने जा रहे हैं उसे जानकर आप आश्चर्य चकित हो जाएंगे, दरअसल गांवों में अपने इष्ट देवताओं के मंदिरों को उनके मूल स्थान से मैदानी व अन्य इलाकों में स्थापित करने से उनके मूल स्थानों के अस्तित्व पर संकट गहरा गया है. क्योंकि पलायन के गए परिवार अपने देवताओं के दर्शन करने गांव नही जाते, क्या पहाडों से देवताओं का पलायन भी हो रहा है. Migration of gods

साभार सोशल मीडिया

गोल्ज्यू (गोलू देवता), ऐड़ी देवता, भूमिया देवता उत्तराखण्ड के स्थानीय देवता हैं, जो लोगो के अलग अलग कुल देवताओं के रूप में है, गोल्ज्यू का सुप्रसिद्द मंदिर पुराने समय मे चंपावत में ही स्थापित था. उसके बाद अल्मोड़ा चितई, घोड़ाखाल मंदिर और अब हलद्वानी के हीरानगर में भी उनकी स्थापना कर दी गई, ऐसा तब हुआ जब लोगो ने सीमांत इलाक़ो से मैदानी इलाकों का रुख किया और अपने देवता को मूल स्थान से हटाकर अपने साथ ले आये, स्थानीय लोग मानते हैं की देवता भगवान पर आधारित हैं. अब यह आदमी की भी मजबूरी है की जब खुद गांव से पलायन कर शहरी इलाक़ो में जा रहा हो हो वह देवताओं को अपने साथ ले जाना उचित समझता है.Migration of gods

साभार सोशल मीडिया

हल्द्वानी से करीब 12 किलोमीटर की दूरी पर लामाचौड़ में स्थित है चारधाम मंदिर, इतिहास के मुताबिक यहां एक समय में बौद्ध लोगों का राज़ रहा, इसलिए यहां का नाम लामाचौड़ पड़ गया, यह मंदिर भी उन्हीं के शासनकाल का है, चार धाम मंदिर का मतलब चारों धाम, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमनोत्री यही स्थापित हैं, दूसरी तरफ भूमिया मंदिर भी हल्द्वानी के कुसुमखेड़ा में है, जबकि भूमि देवता हमेशा गांव में ही विराजमान रहते थे, जो गांव की रक्षा करते थे, जानकार मानते हैं की गांवों के मंदिरों में दिया जलाने के लिए कोई उपलब्ध नही है लिहाज़ा लोग देवताओं को अपने पास ही शहर ले आते हैं. Migration of gods

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साभार सोशल मीडिया

कुछ साल पहले तक शहरों में बसे लोग देवी देवताओं की पूजा करने अपने मूल गांव आते थे, जो एक दो परिवार गांव में थे वे प्रवासी परिवारों के लिए पूजा पाठ औऱ अन्य चीजों का इंतजाम करते थे, कुमाऊँ में करीब 200 लोकदेवता हैं जिसमें से अधिकतर देवताओं के मंदिर मैदानी इलाकों में स्थापित हो चुके हैं. Migration of gods

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साभार सोशल मीडिया

आदमी के साथ साथ देवताओं का पलायन उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद तेजी से बढ़ा है, पिछले सालों में लोक देवताओं के सबसे ज्यादा मंदिर हल्द्वानी, रामनगर,कालाढूंगी में स्थापित हुए हैं, इस वजह से लोकदेवताओं के मूल स्थान संकट में आ गए हैं. Migration of gods

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साभार सोशल मीडिया
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