पढ़िए..पिथौरागढ़ के दानेश्वर की सात मंजिला गुफा की अनोखी कहानी.

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गुफाओं के नाम से मशहूर उत्तराखंड के पिथौरागढ़ की घाटी रहस्य और रोमांच से भरी हुई है पौराणिक मंदिरों और प्राकृतिक गुफा के रहस्य यहां बेहद दिलचस्प कहानियां समेटे हुए हैं. ऐसी ही एक पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट के सुतारगांव की दाना कोट की पहाड़ी में रहस्यमई गुफा मिली है. आइए जानते हैं इस गुफा की पूरी कहानी..

फ़ोटो..राजेन्द्र पन्त रमाकान्त

धार्मिक इतिहासकारों की माने तो महर्षि व्यास द्वारा आज से लगभग 5000 साल पहले रचित स्कंदपुराण के मानसखंड में वर्तमान में पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट क्षेत्र में 21 शिव स्थलों का वर्णन किया गया है. यही नहीं गंगोलीहाट क्षेत्र में ही आठवीं शताब्दी में आदि गुरु शंकराचार्य विश्व प्रसिद्ध पाताल भुवनेश्वर गुफा को भी प्रकाश में लाए थे इसके अलावा देवभूमि की पहाड़ियों में शैलेश्वर, मुक्तेश्वर, बागेश्वर, भोलेश्वर, नागेश्वर, तामेश्वर, कोटेश्वर, जटेश्वर सहित कई गुफाएं और रामेश्वर, हाटकेश्वर, मणिकेश्वर जैसे भगवान शिव के पौराणिक मंदिर भी है.यह माना जा रहा है कि सुतारगांव के डानाकोट गुफा ने इस घाटी के एक और अध्याय को शुरू किया है.

फ़ोटो..राजेन्द्र पन्त रमाकान्त

कैसी है अद्भुत सात मंजिली गुफा

गंगोलीहाट से 5 किलोमीटर दूर सुथार गांव के डानाकोट पहाड़ी में 30 मीटर लंबी और 150 मीटर ऊंची गुफा लगभग 7 मंजिली है जोकि आकर्षण का केंद्र बनी है.सुतारगाँव में स्थित दाणेश्वर महादेव जी की गुफा अपनें आप में अलौकिक ही नहीं बल्कि आश्चर्य की सीमाओं को चीरती महान् आश्चर्य भरी विराट धरोहर है.सुतारगांव की यह परम पावन गुफा क्षेत्र अपनी अलौकिक छटाओं के लिए जितना प्रसिद्व है ,उससे ज्यादा कहीं आध्यात्मिक समृद्वि के लिए प्रसिद्वहै. इन घाटियों की अलौकिक रागनियों में अनहद नाद भरा मधुर संगीत व गीत बसा हुआ है।दाणेश्वर गुफा की गहरी आध्यात्म भरी झलक इस बात की गवाही देती हुई प्रतीत होती है।कि सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार में गंगावली के इस गांव का कभी गौरवशाली इतिहास रहा होगा. लोक देवताओं की विरासत की अनेकों गाथाएं इस भूमि से जुड़ी हुई हैं.

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7 मंजिली गुफा के भीतर होती पूजा अर्चना

वर्ष 2014 में इस गाँव में मिली सात मंजिली गुफा इस बात की गवाही देती है,कि ये भूभाग ऋषि मुनियों की तपस्या व आराधना का कभी विशेष केन्द्र रहा है।गुफा की लम्बाई व इसके रहस्य पर अभी लम्बें शोध व खोज की आवश्यकता है।विषम भौगोलिक स्थिति से घिरा सीमान्त जनपद पिथौरागढ़ का सुतारगांव की दाणेश्वर गुफा अपने आप में महान् आश्चर्य का प्रतीक है.

फ़ोटो..राजेन्द्र पन्त रमाकान्त

इस गुफा को आप चाहे आध्यात्मिक दृष्टि से देखे या पर्यटन की दृष्टि से हर स्थिति में यह आपका मन मोहनें में पूर्णतया सक्षम है।धर्म विशेषज्ञों का मानना है शायद पृथ्वी के चरित्र के साथ ही गुफा की गाथा का चरित्र हो।क्योकिं गंगावली की घाटियों में गुफाओं की लम्बी श्वखंला मौजूद है।कुछ प्रकाशित है,तो कुछ गुमनामी के साये में सिमटी हुई है।निरन्तर प्रकाश में आ रही गुफायें भी पुरातन पहचान से कोसों दूर है.

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स्कंदपुराण के मानस खण्ड़ में वर्णित तमाम प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष गुफाये सनातन संस्कृति की महान् धरोहरें कही गयी है. मानस खण्ड़ में मंगलाचरण के पश्चात् इस बात का स्पष्ट संकेत मिलता है,कि शिव व शक्ति का युगल महात्म्य यहां सर्वत्र फैला हुआ है’रुद्राख्यानमिद् पवित्रतंम्तुलम् श्लोक से इस ओर ईशारा किया गया है।इस गुफा के भीतर एक ऐसा दुर्लभ दृश्य देखनें को मिलता है,जो शायद ही और कहीं दृष्टिगोचर हो अलौकिक दृश्य में माता पार्वती भगवान शिव के गले में वरमाला डाल रही है ।यह अनुपम दृश्य युग युगान्तर के इतिहास को प्रतिबिम्बत कर गुफा की पौराणिकता को प्रबल प्रमाण देती है. एक से बढ़कर एक महान् आश्चर्यों के प्रतीक वाले दृश्य गुप्त इतिहास का दर्शन कराते है.

गुफा का दर्शन करने गई स्थानीय विधायक मीना गंगोला

शेषनाग जी की आकृति,गणेश जी की पिण्ड़ी,माता पार्वती,भगवान शिव के साथ शिव शक्ति का अलौकिक स्वरूप,एक साधु की तपस्यारतमूर्ति सहित अनेको दुर्लभ दृश्य हर मंजिल पर अंकित भांति भांति के प्राकृतिक चित्र यहां आनें वाले आगन्तुकों को बरबस ही अपनी ओर खीचं लेती है।पिण्ड़ीस्वरूप तमाम आकृतियां महान् आस्थाओं के महान् धरोहर के रुप में दाणेश्वर गुफा में देखनें को मिलती है.

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गुफा के दर्शनकरते वरिष्ठ धार्मिक व आध्यात्मिक पत्रकार रमाकांत पंत

आखिर कैसे मिली यह रहस्यमई गुफा

वर्ष 2014 में स्वप्न के आधार पर खोजी ग्ई दाणेश्वर गुफा जो कि सुतारगांव में है। इस गुफा को खोजनें का श्रेय शंकर सिंह नामक व्यक्ति को जाता है।जो समीपस्त स्थित धारापानी गांव के पूर्व सैनिक है। 2014 के मई महीनें में प्रकाश में आयी यह गुफा तहसील मुख्यालय से लगभग छह किमी की दूरी पर दाणाकोट पहाड़ी में मिली जिसे डाणाकोट के नाम से भी पुकारा जाता है,अब इस गुफा को दाणेश्वर,डाणेश्वर,दानेश्वर आदि नाम से प्रचलित किये जाने के प्रयास जारी है।सात मंजिली गुफा के भीतर विभिन्न देवी देवताओं की आकृतियां स्थानीय लोगों की आस्था का केन्द्र बनी हुई है वर्ष2014 में इस गुफा में सर्वप्रथम शंकर सिंह बोरा ने प्रवेश किया उन्हें इस गुफा के दर्शन अक्सर स्वप्न में होते रहते थे. शिव प्रेरणा से उन्होनें मोहन भट्ट,देवेन्द्र भट्ट सहित अनेकों ग्रामीणों को लेकर डाणाकोट के जगंल में जाकर इस गुफा को खोजा गुफा के दर्शन से सभी धन्य हो उठे शिव परिवार के अतिरिक्त राम,लक्ष्मण,सीता आदि की आकृतियों के भी दर्शन लोगों ने किये गुफा के भीतर शिव की आकृति पर गाय के थनों से गिरती पानी की बूदें आस्था व भक्ति का अनोखा संगम है.

फ़ोटो..राजेन्द्र पन्त रमाकान्त
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