देहरादून- अल्पाइन कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी ने की एक और बड़ी खोज

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देहरादून- चिकित्सा क्षेत्र में वैज्ञानिकों का बहुमूल्य योगदान रहा है,किसी भी देश में वैज्ञानिक स्वास्थ्य विभाग की रीड़ की हड्डी होती है। देश में जितना महत्व डॉक्टर का होता है उतना ही महत्व वैज्ञानिक का भी होता है, खासकर कोरोना महामारी के वैक्सीन में वैज्ञानिकों ने अहम भूमिका निभाई है,दुनियाभर में वैज्ञानिकों ने कोरोना महामारी में अपनी जान की परवाह न कर लोगों को इस महामारी से लड़ने के लिए कोविशील्ड, स्पुटनिक,बूस्टर वैक्सीन तैयार की है, विज्ञानिक बीमारियों का अंत करने लिए देवदूत समान बन जाते हैं,चिकित्सा के क्षेत्र में वैज्ञानिक हमारे निष्ठावान सहचर है ।

वैज्ञानिकों द्वारा मानव को विभिन्न असाध्य रोगों के इलाज की अोषदी प्राप्त हुई है । चेचक, हैजा तथा प्लेग आदि के विनाश से अब मानव अपने आपको सुरक्षित पाते है ,आज संभवत: कोई ऐसा रोग नहीं है, जिसका असाध्य कहा जा सके(दो तीन को छोड़ कर),नंदा की चौकी स्थित अल्पाइन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट ने एक और बड़ी खोज की है, फार्मेसी के क्षेत्र में एक शोध विद्वान डॉ कपिल कालरा प्रधानाचार्य अल्पाइन कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी द्वारा किए गए पेटेंट के लिए भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त और सम्मानित होना बेहद सराहनीय है, एक बार फिर अल्पाइन कॉलेज के लिए एक महान क्षण है,


डॉक्टर कपिल कालरा ने बताया कि फार्मेसी के क्षेत्र में तपेदिक जैसी घातक बीमारियों का वी अब उपाय है और जिसकी दवा रिफाबूटिन पहले कम घुलनशीलता थी और अब 99% घुलनशीलता है, दो पेटेंट प्रकाशित किए हैं ताकि रिफाबूटिन दवा की घुलनशीलता और जैवउपलब्धता को बढ़ाने के लिए दो तरीकों का विकास किया जा सके। केंद्र सरकार ने इस नई खोज के लिए हिम और एल्पाइन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट्स, देहरादून के नाम से पेटेंट दर्ज किया है, जो ट्यूबक्यूलोसिस टीबी के रोगियों को ठीक होने में महान चमत्कार लाने जा रहा है, डॉ कपिल कालरा और उनके सहयोगियों द्वारा हासिल किया गया है और इस महान प्रगति को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक द्वारा मान्यता दी जा रही है और उनके नाम पर पेटेंट कराया गया है, अत्यधिक प्रशंसनीय पल है पूरे देश वासियों के लिए, समाज के प्रति उनके कार्य सम्पूर्ण प्रेरणा है।

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श्री अनिल सैनी, चेयरमैन अल्पाइन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट और श्रीमती भावना सैनी, प्रबंध निदेशक, अल्पाइन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट्स ने इस खोज पर कॉलेज के वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए इसे दुनिया के लिए बहुत उपयोगी बताया। डॉ एस के चौहान निर्देशक अल्पाइन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट ने कहा कि यह सफलता कई प्रयोगों और लंबी प्रक्रिया के बाद प्राप्त हुई है और चिकित्सा विज्ञान और पेटेंट की प्रगति में निपुण और मान्यता प्राप्त आवश्यक कार्य के लिए डॉ कपिल कालरा और उनकी टीम को सम्मानित किया गया है।

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