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यात्रा वृत्तांत (चतुर्थ भाग) उत्तराखंड के कपकोट विधानसभा के कलाग ग्रामसभा की दर्द भरी कहनी.

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लेकिन मैं यह चाहता था कि जब हम बहुत ज्यादा प्यासे हो तब इस कोल्ड्रिंग को पीकर अपनी प्यास बुझाये तो उस का मजा ही कुछ और होगा, मैंने अपने मौसेरे भाई से कहा कि कुछ दूर और चलते हैं उसके बाद पिएंगे , अब हम पहाड़ की दुर्दशा, पलायन और विषम परिस्थितियों में होने वाली खेती के बारे में चर्चा करते हुए आगे बढ़ने लगे, इस दौरान चीड़ के जंगल और उनके नीचे पिरूल घास की एक परत ऐसी चिकनाई फैलाए हुए थी, कि हमारा एक डगमगाया हुआ कदम हमे 500 मीटर गहरी खाई पहुंचा सकता था , bageshwar journey

पढ़िए यात्रा वृतांत का प्रथम भाग

इतने संकरे रास्ते और खतरनाक खाई के बीच हम सावधानी से बढ़ रहे थे , खड़ी चढ़ाई में तकरीबन 15 मिनट और चढ़ाई चढ़कर हमारी हिम्मत जवाब दे गई, मैं खुद अपने भाई से बोला कि चलो अब अपना अपना गला तर कर लेते है मैंने अपने बैठने के लिए एक जगह सुनिश्चित की डेढ़ फीट संकरे रास्ते मैं थोड़ा आगे जाकर एक चौड़ा पत्थर हमें बैठने को मिला , ,,में पत्थर में बैठने ही वाला था कि इस बीच एक ऐसी घटना घटी कि मानो हमारे प्राण ही सूख गए हो , अचानक कपड़े की पॉलिथीन से कोल्ड ड्रिंक की बोतल निकालते समय मेरे मौसेरे भाई मनोज के हाथ से वह कोल्ड ड्रिंक की बोतल छूट गई और हमारी आंखों के सामने 500 मीटर गहरी खाई में हिचकोले लेते हुए तेजी के साथ गई और नीचे टकराकर फूट गयी, कोल्ड ड्रिंक के अंदर बनी गैस जो पहाड़ी से नीचे जाने तक बोतल के अंदर घर्षण पैदा कर भारी प्रेशर बना चुकी थी जो एक बिस्फोट के साथ हमारी आंखों के सामने फूट गयी ,, उस बोतल के फूटने की आवाज के साथ ही हमें लगा कि हमारी किस्मत भी फूट गई, kapkot bageshwar journey

पढ़िए यात्रा वृतांत का द्वितीय भाग

पसीने से तरबतर लगभग 5 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई चढ़ने के बाद हम इस हालात में आए थे कि मानो अब गला तर कर “अमृत “की प्यास का आनंद लेंगे लेकिन हमारी आंखों के सामने हमारी उम्मीदों में पानी फिर गया, उस दृश्य को मैं जीवन में कभी नहीं भूल पाऊंगा जब मैं जीवन में सबसे ज्यादा प्यासा था और मेरी आंखो के सामने मेरी प्यास बुझाने वाली कोल्ड ड्रिंक की बोतल 500 मीटर दूर खाई में चकनाचूर हो गई , हालांकि मेरे मौसेरे भाई को उस बोतल के फूट जाने का विश्वास नहीं हुआ,,,, मैं एक चौड़े पत्थर पर बोतल आंखों के सामने फूट जाने का बिलाप करने लगा , लेकिन मेरे भाई ने हिम्मत नहीं हारी वह 500 मीटर गहरी खाई थी वह पहाड़ी के नीचे की ओर चल दिया अपने पैरों को पहाड़ की जड़ों में जमाता हुआ वह सीढ़ीनुमा आकार में पहाड़ी में उतरने लगा उसके तकरीबन 15 मिनट तक नीचे पहुंचने के बाद उसकी खुशी भी पल भर में दूर हो गई उसे नीचे झाड़ियों के किनारे पेड़ की जड़ पर उस 2 लीटर की कोल्ड्रिंग के अवशेष मिले, उसमें एक बूंद की भी कोल्ड्रिंग की नहीं बची थी, वह निराश होकर मुझे इस बोतल की लाश नीचे खाई से दिखाने लगा , मैं चिल्लाकर बोला कि इसको वही ठिकाने लगाकर ऊपर आ जाओ,, bageshwar kapkot journey

पढ़िए यात्रा वृतांत का तृतीय भाग


मनोज निराश होकर नीचे पहाड़ी से उप्पर चढ़ने लगा , तकरीबन आधा घण्टा चढ़ने के बाद वो मेरे तक पहुचा तब तक मे अपनी किस्मत को कोष कोष कर कोल्ड्रिंग की याद को भुलाने की कोशिश कर रहा था ,, अब मेरे से ज्यादा प्यासा मेरा भाई था क्योंकि वो मुझसे ज्यादा पहाड़ी चढ़ गया था और में इस आधे घण्टे में थोड़ा शरीर को आराम देने में सफल रहा था लेकिन दिमाग मे अब भी पछतावा हो रहा था कि आखिर कोल्ड्रिंग हाथ से गिरी कैसे ,, बरहाल अब सारी चीजें भूल कर हम जंगल मे पानी की तलाश में नजर दौड़ाने लगे , कुछ दूर आगे चल कर एक दूसरी पहाड़ी जो कि दक्षिण से हमारी पहाड़ी पर मिलान कर रही थी वहां से चार लोग आते दिखे जिनमे एक बुजुर्ग महिला थी , हमारी आंखों में चमक जगी हमे लगा कि चलो उनमें किसी न किसी के पास चुल्लू भर पानी तो होगा , हम थोड़ा चढ़ाई चढ़कर उस रास्ते पर बैठ गए जहां से वो रास्ता हमारे वाले रास्ते पर मिलता था, हमने देखा कि दूसरी पहाड़ी से आ रहे लोग हमसे ज्यादा थके हारे लग रहे थे , वो हमतक पहुचने तक हमारी आंखों के सामने तीन बार सुस्ता (थकान उतार)चुके थे,जब वो नजदीक पहुचे तो बुजुर्ग महिला सबसे आगे थी उनके एक हाथ मे सहारे के लिए डंडा था और पीठ में एक बड़ा बैग जिसे वो सर के सहारे लटका कर 90 डिग्री का कोण बनाते हुए हमारी तरफ बढ़ रही थी, ओर उनके पीछे तीन युवा जो थके हारे, सास फुलाते हुवे शर्ट उतारकर कंधे में लटकाते हुवे पसीने से तर बतर हमारे समीप पहुचे, इससे पहले हाथ मे लेज के दो पाउच पकड़ा मेरा भाई उनसे पानी के लिए पूछने ही वाला था कि सामने से आवाज आई (दाज्यू पिणी वाल पाणी तो न्हा तुमर पास) पीने वाला पानी तो नही है आपके पास? ये सवाल सुनकर हम दोनों भाई एक दूसरे की शक्ल देख कर हसने का प्रयत्न कर रहे थे लेकिन हमसे हँसा भी नही जा रहा था, फिर मनोज बोला हम खुद पानी खोज रहे है ,, अब हम सब नजदीक आमने सामने आ गए थे बुजुर्ग महिला ने अपने साथ आये लड़को से कहा बैठ जाओ अब हमको साथ मिल गया था थोड़ी देर में हम साथ साथ आगे बढ़ेंगे, bageshwar journey

हम सब साथ साथ बैठे इस बीच मेरे भाई ने उनको कोल्ड्रिंग के खाई में गिरने का पूरा किस्सा सुना दिया , वो बेचारे हसने के काबिल तो थे नही, लेकिन वो ये जरूर बोल रहे थे कि अभी अगर हमारे पास कोल्ड्रिंग होती तो थोड़ा उन्हें भी गला तर करने को मिल जाता , पँर वो एक बुरा सपना सा लगने लगा था , फिर मेने बुजुर्ग महिला को अपना परिचय दिया , अपने पिता और मम्मी का नाम बताया तो उन्होंने मुझे पहचान लिया बोली तुम्हारे पिता मेरे रिश्ते में मेरे भाई लगते है फिर नमस्कार हुई और उन्होंने बताया कि वो भी हमारे गॉव कलाग जा रहे है जहां सादी में जाना है , उन्होंने बताया कि वो (हडबाढ़) से आये है और नीचे चिणाग के गधेरे से पैदल वाली दूसरी पहाड़ी से आ रहे है ,, अब हमें आगे का रास्ता जानने वाली बुजुर्ग महिला जो कि हमारी रिस्तेदार(उनका नाम मेने शर्म के मारे नही पूछा) भी थी उनके सानिध्य में आगे बढ़ना था , bageshwar journey

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