लालकुआं- खोदा पहाड़ निकली चुहिया, पट्टे बंटे लेकिन सर्किल रेट हो गया 2004 का..लोग बोले फिर क्या फायदा…..

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लालकुआं- विधायक नवीन दुम्का ने 10 नगरवासियों को उनकी जमीनों के मालिकाना हक के कागजात सौपते हुए कहा कि वर्ष 2004 के सर्किल रेट के हिसाब से लालकुआं के 1537 परिवारों को मालिकाना हक प्रदान किया जाएगा। फिलहाल बंदोबस्त विभाग के पटवारी की लालकुआं क्षेत्र में तैनाती नहीं होने से अन्य नगरवासी इस सुविधा से फिलहाल वंचित रहेंगे।


क्षेत्रीय विधायक नवीन दुम्का का कहना है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री के अथक प्रयासों से लालकुआं के लोगों को उनकी जमीनों का आज मालिकाना हक मिल गया है। उप जिलाधिकारी मनीष कुमार सिंह ने बताया कि बंदोबस्त पटवारी के अब तक यहां तैनात नहीं रहने के चलते मालिकाना हक की कार्रवाई में थोड़ा विलंब हो रहा है। फिलहाल उधम सिंह नगर से सप्ताह में 3 दिन बंदोबस्त पटवारी को लालकुआं तहसील आने के निर्देश दिए गए हैं। जैसे ही उक्त पटवारी लालकुआं आकर अपना कामकाज शुरू कर देंगे वैसे ही अन्य लोगों की फाइल बनाने का काम शुरू कर दिया जाएगा। तथा दाखिल खारिज कराकर लोग अपनी जमीन की फ्री होल्ड की कारवाई करा सकते हैं।

आज लालकुआं तहसील में आए बंदोबस्त विभाग के नायब तहसीलदार एसके श्रीवास्तव ने बताया कि जनपद उधम सिंह नगर और जनपद नैनीताल में मात्र दो ही पटवारी और कानूनगो है। इन्हीं दोनों कर्मचारियों से दोनों जिलों की बंदोबस्त की व्यवस्था चलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि अविलंब बंदोबस्त विभाग का स्टाफ बढ़ाया जाए तभी लालकुआं नगर में बंदोबस्त पटवारी और कानूनगो सप्ताह में 3 दिन आ सकते हैं। विधायक नवीन दुम्का ने कहा कि वह जिलाधिकारी से बात कर बंदोबस्त पटवारियों की अतिरिक्त तैनाती करने की मांग करेंगे।

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इधर वर्ष 2016 में तत्कालीन सरकार द्वारा सन 2000 के सर्किल रेट के हिसाब से लालकुआं के लोगों को मालिकाना हक देने का निर्णय लिया गया था। परंतु मौजूदा भाजपा सरकार ने 2004 के सर्किल रेट के हिसाब से मालिकाना हक देने का ऐलान किया है। इधर नगर में अधिकांश लोग गरीब तबके के निवास करते हैं, जो कि लंबे समय से मालिकाना हक के लिए संघर्ष कर रहे हैं। पूर्व में नगरवासियों ने 1975 के सर्किल रेट के हिसाब से मालिकाना हक की मांग की थी, परंतु 2016 में तत्कालीन हरीश रावत सरकार ने यह कहकर उस मांग को खारिज कर दिया कि सन 2000 में उत्तराखंड राज्य बना उत्तराखंड की सरकार उसी हिसाब से 2000 सन के सर्किल रेट से मालिकाना हक दे सकती है। परंतु मौजूदा भाजपा सरकार ने उक्त शासनादेश में संशोधन कर 2004 के सर्किल रेट के हिसाब से मालिकाना हक देने का फरमान जारी कर दिया। जिससे क्षेत्र के निम्न वर्ग के लोगों में आक्रोश पनपने लगा है।

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विदित रहे कि लालकुआं वर्ष 1927 में डिफॉरेस्ट हुआ, 1975 में राजस्व गांव, और 1978 में यहां नगर पंचायत का निर्माण हुआ। परंतु नगर के लोग आज भी अपनी जमीनों के मालिकाना हक से महरूम है। आज स्थानीय तहसील कार्यालय में नगर के 10 उन लोगों को मालिकाना हक के कागजात सौपे गए, जिनके पास 100 वर्ग मीटर से कम भूमि में भूखंड है। इसी प्रकार की लगभग 50 फाइलें और जिला मुख्यालय में तैयार हैं। जिन्हें जल्द उनकी जमीनों के कागजात दिए जा सकते हैं। यह फाइलें कई वर्ष पूर्व तैयार हो चुकी थी। जिनमें से मात्र 10 लोगों को आज मालिकाना हक के प्रपत्र सौपे गये। वर्ष 2004 में लालकुआं क्षेत्र की व्यवसायिक भूमि के सर्किल रेट 16 सौ रुपए वर्ग मीटर, तथा घरेलू भूमि के 1 हजार रूपये वर्ग मीटर हैं। जबकि वर्ष 2000 में बहुत ही कम सर्किल रेट थे।

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इधर देवभूमि व्यापार मंडल के अध्यक्ष दीवान सिंह बिष्ट ने कहा कि वर्ष 2004 के सर्किल रेट अत्यधिक हैं। लालकुआं नगर में अधिकांश निम्न वर्ग के लोग निवास करते हैं, जो कि उक्त सर्किल रेट के हिसाब से पैसा जमा करने में पूरी तरह अक्षम रहेंगे। उन्होंने राज्य सरकार से मांग की कि सन् 2000 के सर्किल रेट के हिसाब से उन्हें उनकी जमीनों का मालिकाना हक मुहैया कराया जाए। क्योंकि सन 2000 के सर्किल रेट कम है। दीवान सिंह बिष्ट ने कहा कि लालकुआं के लोग अपनी जमीनों के मालिकाना हक के लिए डेढ़ सौ साल से संघर्ष कर रहे हैं। सरकार उनकी मदद करने के उद्देश्य से मालिकाना हक प्रदान करें न कि अपना राजकोष भरने के लिए।

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